आश्रम का पहुंच मार्ग नहीं है। लोगों को पैदल नदी पार करके यहां तक पहुंचना पड़ता है। आश्रम में हजारों साल पुराने मंदिर में मढ़ी दुर्लभ पाषाण प्रतिमाएं लगातार चोरी हो रही हैं। आश्रम में बने छोटे-छोटे मंदिर देखरेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो रहे हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार लोग आश्रम की व्यवस्थाओं को सुधारने की दिशा मेें कभी गंभीर नजर नहीं आए।
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार भगवान श्रीराम चित्रकूट के जंगलों से होते हुए पन्ना जिले के जंगलों में काफी समय तक भटके थे। श्रीराम पथ गमन मार्ग के जारी नक्शे में पन्ना जिले के चार ऐतिहासिक स्थलों को शामिल किया गया है जिनमें बृहस्पति कुंड बृजपुर, सुतीक्षण आश्रम सारंग, ऋषि अग्निजिह्वा का आश्रम बड़ागांव और अगस्तमुनि आश्रम सिद्धनाथ आश्रम सलेहा शामिल हैं।
अगस्त मुनि का यह आश्रम अपने आप में हजारों सालों का इतिहास संजोए है। यहां सिद्धनाथ का मंदिर 6वीं शताब्दी में बनाया गया था। अनोखी शिल्प कला के इस मंदिर के साथ कभी यहां 108 कुंडीय भव्य मंदिर भी हुआ करता था जिसके प्रमाण साफ देखे जा सकते हैं। इसके बाद भी इसे संरक्षित करने की दिशा में किसी ने भी प्रयास नहीं किया।
देखरेख नहीं होने के कारण हालात यह है कि ऐतिहासिक मंदिर में लगी पाषाण प्रतिमाएं लगातार चोरी हो रही हैं। पुराने मंदिर देखरेख के अभाव में खंडहर होते जा रहे हैं। आश्रम परिसर में समुचित साफ-सफाई नहीं होने से यहां कीड़े-मकोड़ों का वास रहता है। आश्रम की ऐतिहासकता प्रमाणित होने के बाद भी जिम्मेदारों ने कभी इसे संजोने और संवारने का प्रयास नहीं किया, इससे यहां से सुनियोजित तरीके से दुर्र्लभ प्रतिमाओं की चोरी की जा रही है। गुडने नदी के किनारे बने सिद्धनाथ मंदिर पहुंचने के लिये नदी को पार करना पड़ता है।
लगतार 12 साल चला था मानस पास स्थानीय बुजुर्ग कहते हैं सिद्धनाथ कि तपोभूमि पर आज भी ऋषियों के आश्रम मौजूद हैं। कभी यहां भव्य धार्मिक अनुष्ठान हुआ करते थे। 1954 में चित्रकूट के मौनीबाबा ने यहां अखंड रामायण का पाठ कराया। यह अखंड रामायण 12 साल तक चला। इसके बाद यहां कोई बड़ा आयोजन नहीं हुआ। सिद्धनाथ क्षेत्र में इतनी धार्मिक बातें जुड़ी होने के बावजूद आज तक इस क्षेत्र का विकास नहीं हुआ।
पुरातत्व विभाग भी कर चुका है पुष्टि जानकारी के अनुसार भगवान राम चित्रकूट से चलकर अगस्त मुनि से मिलने सिद्धनाथ आश्रम आए थे। भगवान राम और अगस्त ऋषि की इसी ऐतिहासिक प्रसंग के चलते अध्यात्मिक दुनिया में पन्ना भी अपनी पहचान रखता है। इसका प्रमाण रामायण में भी मिलता है।
साथ ही रामवन पथ गमन मार्ग की खोज के दौरान पुरातत्व विभाग की टीम ने भी इसके ऐतिहासिक तथ्यों के प्रमाणिकता की पुष्टि की थी। यह स्थान जिला मुख्यालय से 60 किमी दूर सलेहा क्षेत्र में है। इसे सिद्धनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहीं अगस्त ऋषि का आश्रम आज भी मौजूद है। यहां वे तपस्या किया करते थे। दक्षिण भारत के प्रख्यात संत वेलू कुडी कुछ साल पूर्व यहां आए थे।
उन्होंने इस दिव्य स्थान की कई और खासियत बताई। उन्होंने बताया कि जब शिव पार्वती का विवाह हो रहा था तो दुनिया डोलने लगी थी और तब अगस्त ऋषि को दुनिया का संतुलन बनाने के लिये यहां भेजा गया था। अगस्त मुनि पन्ना जिले के पटना तमोली ग्राम के पास स्थित सिद्धनाथ क्षेत्र में आए थे और यहां उन्होंने तपस्या की थी। संत वेल कुडी का कहना है कि बाल्मीकी रामायण में भी इसका वर्णन मिलता है।
तमिल भाषा संस्कृत के समकक्ष है और इसका प्रकाशन भी अगस्त मुनि ने किया था। बोधिगयी पहाड़ी दक्षिण में है और वहां भी अगस्त मुनि ने तपस्या की थी। इसके बाद वे भारत की यात्रा पर निकले और उन्होंने पूरे भारत को एक सूत्र में पिरोया। उन्होंने बताया, दक्षिण भारत के प्रसिद्ध ग्रंथ आडिंवार में भी अगस्त मुनि का वर्णन मिलता है।