चौमुखनाथ मंदिर परिसर की खुदाई में शिवलिंग के अलावा परिक्रमा पथ,गर्भगृह, प्रवेश द्वार की शिलाएं, निकास द्वार की शिलाएं मिली हैं। शिवलिंग और मंदिर की दीवार, गर्भगृह की बनावट के आधार पर पहली और दूसरी सदी का होने का दावा किया जा रहा है। मंदिर की दीवार का निर्माण कुषाणकालीन होने दावा है। दीवारों की जुड़ाई में नदी की तलहटी की मिट्टी का इस्तेमाल किया गया है।
भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण विभाग के द्वारा चौमुखनाथ मंदिर के परिसर में 8 टीलों को चिन्हित किया गया था। जिसमें 4 मार्च से खुदाई कार्य शुरू किया गया था। इसमें अनुमान लगाया जा रहा है कि आगे की खुदाई में मंदिरों के अवशेष या प्रतिमाएं मिल सकती है। यहां मजदूरों द्वारा औजारों से बारीकी से काम किया जा रहा। टीलों के आसपास धागे से सर्किल बनाया गया है।खुदाई का पूरा कार्य जबलपुर पुरात्तव विभाग की टीम देख रही है। अभी वीडियो और फोटो पर प्रतिबंध लगाया गया है। इतिहासकारों का मानना है कि यहां स्थित पार्वती मंदिर पांचवी सदी से मौजूद है। ऐसा माना जा रहा कि मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान मिले अवशेष और मंदिर पहली सदी से लेकर पांचवी सदी के बीच हो सकते हैं।