विवाह समारोह में पहुंचने पर विवाह की सभी रस्मों की अदायगी के साथ दूल्हे दिग्विजयसिंह को तिलक पर टीके के रूप में पांच लाख रुपए की राशि दी गई। इस पर उनके पिता ने दूल्हे की सहमति से वह राशि राशि वास वधु पक्ष के लोगों को लौटा दी। तिलक की रस्म अदा करने के रूप में उन्होंने केवल एक रुपया लिया। इसका उनके परिजनों ने भी समर्थन किया।
युवाओं व समाजबंधुओं को सोच को बदली होगी
इस तरह से दूल्हे व उनके परिजनों के टीके की राशि लौटाने पर समाजबंधुओं ने वर पक्ष की सरहना की। समाजबंधुओं का कहना था कि अब दहेज को पूरी तरह से नकाराना होगा। इसके लिए युवाओं व समाजबंधुओं के साथ सभी को सोच को बदलली होगी। अब विवाह बिना दहेज के ही होने चाहिए।
इस तरह से दूल्हे व उनके परिजनों के टीके की राशि लौटाने पर समाजबंधुओं ने वर पक्ष की सरहना की। समाजबंधुओं का कहना था कि अब दहेज को पूरी तरह से नकाराना होगा। इसके लिए युवाओं व समाजबंधुओं के साथ सभी को सोच को बदलली होगी। अब विवाह बिना दहेज के ही होने चाहिए।
संत रामानंदाचार्य की जयंती मनाई
पाली। वैष्णव समाज छात्रावास में जगतगुरु रामानन्दाचार्य का 719वां जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। वैष्णव समाज के पूरणप्रकाश निम्बार्क ने बताया कि कार्यक्रम महंत श्यामदास, मंगलदास, संत गोपालदास, भंवरलाल, गोरधनदास, भंवरलाल निम्बार्क, घीसूुदास, हनुमान प्रसाद के सान्निध्य में दीप प्रज्वलन के साथ शुरू हुआ। इससे पूर्व रात्रि को भजन संध्या का कार्यक्रम भी हुआ।
पाली। वैष्णव समाज छात्रावास में जगतगुरु रामानन्दाचार्य का 719वां जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। वैष्णव समाज के पूरणप्रकाश निम्बार्क ने बताया कि कार्यक्रम महंत श्यामदास, मंगलदास, संत गोपालदास, भंवरलाल, गोरधनदास, भंवरलाल निम्बार्क, घीसूुदास, हनुमान प्रसाद के सान्निध्य में दीप प्रज्वलन के साथ शुरू हुआ। इससे पूर्व रात्रि को भजन संध्या का कार्यक्रम भी हुआ।
भंवरलला निम्बार्क व घीसूदास ने रामानन्दाचार्य की जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला। महंत श्यामदास ने उपस्थित लोगों को भारतीय संस्कृति अपनाने का आव्हान किया गया। मंच संचालन हितेश रामावत ने किया। कार्यक्रम में महाप्रसादी का वितरण किया गया। इस मौके मदनदास, डॉ. आ.सी. दिनकर, भीकमदास, रमेश, श्रवणदास, रविन्द्र वैष्णव, नारायणदास, दाउदास, चन्दुदास, आर.डी. वैष्णव, नित्यप्रकाश, कन्हैयालला, प्रभुदास, देवकिशन, मनोज निम्बार्क, बंशीदास, संतोकदास, खीमदास, लादूराम, जयप्रकाश व ज्ञानदास सहित समाजबंधु मौजूद थे।