हैरानी की बात यह रही कि रीको कार्यालय से लेकर पूरे एरिए में फैक्ट्रियों के बाहर नाले रंगीन पानी से भरे मिले। यह पानी कहां से आया इस बारे में कोई जानकारी नहीं दे पाया। यहां तक कि रीको अधिकारियों ने भी अनभिज्ञता जताई। उपखण्ड अधिकारी तोमर व आरओ शर्मा समेत सभी अधिकारी चार घंटे तक पैदल घूमे। कुछ फैक्ट्रियों के बाहर जेसीबी से नाला तोडकऱ पता लगाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। अधिकारियों ने एक-एक फैक्ट्री के बाहर बारीकी से पड़ताल की। पाइप लाइन भी अंडर ग्राउंड होने से यह पता नहीं चल पाया कि रंगीन पानी कहां से छोड़ा जा रहा है।
अंडर ग्राउंड पाइप लाइन से रंगीन पानी सीवरेज में किस रास्ते से जा रहा है इसका पता लगाने के लिए मंगलवार को सडक़ की खुदाई कराई जाएगी। सडक़ की ज्यादा खुदाई नहीं करनी पड़े इसलिए प्रशासनिक अधिकारियों ने सोमवार को खुदाई का निर्णय टाल दिया। अब मंगलवार को सुबह सुल्तान स्कूल के बाहर मैनहॉल से अंडर ग्राउंड पाइप लाइन का पता लगाने के लिए जेसीबी से खुदाई कराई जाएगी।
प्रशासनिक अधिकारी फैक्ट्रियों से चोरी-छिपे रंगीन पानी छोडऩे की पाइप लाइन तलाश रहे थे। इस दौरान एक फैक्ट्री के बाहर किसी कुएं या ट्यूबवैल से जोड़ी हुई पानी की अवैध पाइप लाइन मिल गई। इस पाइप लाइन के जरिए फैक्ट्री में पानी सप्लाई होता है। उपखण्ड अधिकारी ने कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
एक फैक्ट्री के बाहर एसिड का पानी मिला तो प्रशासनिक अधिकारियों ने फैक्ट्री मालिक से पूछताछ की। अधिकारियों ने संदिग्ध परिस्थितियों को देखते हुए फैक्ट्री के भीतर निरीक्षण किया तो कई अनियमिततां मिली। आरओ अमित शर्मा ने बताया कि पारस पोलीमर एंड कैमिकल नामक फैक्ट्री में एसिड का पानी बड़ी मात्रा में मिला है। इसके अलावा भी कई अनियमिता पाई गई। फैक्ट्री की कंसेंट निरस्त करने के लिए मुख्यालय को रिपोर्ट भिजवाई है। शर्मा ने बताया कि फैक्ट्री मालिक के खिलाफ पहले भी एक मामला चल रहा है। उसने गलत जानकारी देकर कंसेंट ले ली थी।
पुनारा आरटीओ ऑफिस के निकट रहने वाली मीना देवी ने मौके पर पहुंचे उपखण्ड अधिकारी से शिकायत की कि यहां नाले में अक्सर रंगीन पानी आता है। बारिश के दिनों में स्थिति ज्यादा विकट हो जाती है। पानी सडक़ों पर फैल जाता है। स्थानीय लोगों ने रंगीन पानी का वीडियो भी दिखाया।
क्षेत्र के निवासी दिलीप बंजारा का कहना है कि फैक्ट्रियों के रंगीन पानी से नाले भरे रहते हैं। बारिश के दिनों में यह पानी और ज्यादा मात्रा में सडक़ों पर फैल जाता है। नाले में रंगीन पानी छोडऩे की जानकारी कइयों को है, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।