सुबह सूर्योदय से पहले सिर पर डाला रखकर व्रती सूर्यदेव और छठ माता के जयघोष लगाते हुए लाखोटिया तालाब के घाट पहुंचे। कई श्रद्धालु लोटते हुए घाट पर पहुंचे। वहां पहुंचकर श्रद्धालुओं ने जल में स्नान कर हथेलियों पर सिन्दूर और हल्दी लगाई। पानी में खड़े होकर सूप में पानी, सुपारी व फूल सहित विभिन्न सामग्री रखकर मंत्रों का उच्चारण करते हुए भगवान सूर्य को अघ्र्य देकर मंगल प्रार्थना की। भगवान सूर्य को मिठाई व फलों का भोग चढ़ाकर शीश नवाया। इस दौरान कई जनों ने व्रत करने वाले व्रतियों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लिया तथा उसके बाद प्रसाद ग्रहण किया।
इससे पहले मंगलवार को व्रत के तीसरे दिन सबह व्रतियों के घर में महिलाओं ने सुबह छठ माता व सूर्य भगवान की भक्ति से ओतप्रोत भजन गाकर आराधना की। इसके बाद भगवान सूर्य को अघ्र्य देने व पूजन करने के लिए ठेकुआ व कचवनिया (पीसे चावल में गुड़ मिलाकर बनाया गया मिष्ठान) बनाए। इसके बाद दऊरा (बांस की टोकरी) में ठेकुआ, कचवनिया, पतासा, फल, गाजर, मूली, शकरकंद, पान का पत्ता, सुपारी आदि रखे। इसके बाद व्रतियों ने दिन भर छठ माता व सूर्य भगवान का ध्यान किया और सांझ होने से पहले दऊरा में रखी सामग्री लेकर जयकारे लगाते लाखोटिया तालाब स्थित छठ घाट की ओर से बढ़े। वहां पहुंचने पर मंत्रोच्चार के साथ पानी में खड़े होकर अस्तांचल सूर्य को अघ्र्य देकर शीश नवाया।
व्रतियों ने किया पारणा
तीन दिन से उपवास कर रहे व्रतियों ने सूर्य को अघ्र्य देने के बाद अदरक और गुड़ खाकर व्रत खोला। इसके बाद घर जाकर ठेकुआ सहित विभिन्न प्रकार के व्यंजन थाली में सजाकर पारणा किया। व्रतियों ने सूप में रखे फल, मिठाई और अन्य सामग्री परिचितों व मित्रों में बांटी। मान्यता है कि प्रसाद जितना ज्यादा वितरित किया जाता है पूजा का फल उतना ही अधिक मिलता है।
व्रतियों से लिया आशीर्वाद
बिहार संस्कृति सेवा समिति पाली के अध्यक्ष अनिल सिंह, उपाध्यक्ष जितेन्द्र पांडे, अभय शर्मा, ए.के. घोष, प्रभंजन मिश्रा, संजय सिंह, विक्कीयानंद, अमित कुमार, अमरेश कुमार, सुजित कुमार पंकज, अजयसिंह, अनुजसिंह, सूर्यप्रताप आदि व्यवस्थाओं में जुटे नजर आए।