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भारत सरकार का यह कदम पड़ सकता है भारी, जा सकती है विश्व कप मुक्केबाजी की मेजबानी

राहिमोव ने वेबसाइट पर जारी किए गए अपने पत्र में स्‍पष्‍ट लिखा है कि वह पैदा हुई ताजा स्थिति के कारण काफी चिंतित हैं।

नई दिल्लीNov 16, 2018 / 07:21 pm

Mazkoor

aiba

भारत सरकार का यह कदम पड़ सकता है भारी, जा सकती है विश्व कप मुक्केबाजी की मेजबानी

नई दिल्ली : नई दिल्‍ली में 10वीं आईबा विश्व महिला मुक्केबाजी चैम्पियनशिप चल रही है। इसमें कोसोवो के दल को भारत सरकार ने अभी तक वीजा नहीं दिया है। भारत सरकार का यह निर्णय देश को भारी पड़ सकता है। मुक्केबाजी की अंतरराष्‍ट्रीय महासंघ-आईबा ने शुक्रवार को एक पत्र लिख कर इस पर अपनी नाराजगी जतार्इ है। इस पत्र में कहा गया है कि भारत सरकार के इस कदम के बाद 2021 में भारत की मेजबानी में होने वाली पुरुष विश्व चैम्पियनशिप की मेजबानी पर आईबा अब दोबारा से विचार करेगा। वह भारत से मेजबानी वापस लेने जैसे कड़े कदम भी उठा सकता है। हालांकि आईबा के अध्यक्ष गाफुर राहिमोव ने अंतरराष्‍ट्रीय संस्था और भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआइ) की ओर से इस विवाद को सुलझाने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना भी की है।

कोसोवो के दल को वीजा न देना है वजह
बता दें कि कोसोवो की मुक्‍केबाज डोनजेटा साडिकु (60 किलोग्राम भारवर्ग) के अलावा उनके दो प्रशिक्षकों को भारत सरकार ने वीजा नहीं दिया। इस वजह से कोसोवो का दल विश्‍व महिला मुक्‍केबाजी में भाग लेने भारत नहीं आ पाया। बता दें कि कोसोवो 2008 में सर्बिया से अलग होकर एक अलग देश बना था। इसे कई देशों ने मान्यता दे दी है। हालांकि कुछ देश ऐसे भी हैं, जो इसे स्‍वतंत्र देश नहीं मानते। उन्‍हीं में से भारत भी एक है। इसी कारण कोसोवो दल का वीजा रुका हुआ है।

खेल में राजनीति नहीं
राहिमोव ने आईबा की वेबसाइट पर जारी किए गए अपने पत्र में स्‍पष्‍ट लिखा है कि वह पैदा हुई ताजा स्थिति के कारण काफी चिंतित हैं। कोई भी खिलाड़ी जो अपने देश के लिए अंतरराष्‍ट्रीय स्तर पर खेलने का सपना देखता है, उसे राजनीति के फैसलों से प्रभावित नहीं करना चाहिए। खेल और राजनीति को अलग रखा जाना चाहिए। इस पत्र में आगे लिखा है कि वह बीएफआइ के प्रयास की सराहना करते हैं, लेकिन इस घटना के बाद आईबा 2021 में होने वाली पुरुष विश्व चैम्पियनशिप की नीलामी पर दोबारा विचार करेगा। इसके साथ ही उन्‍होंने कोसोवो की मुक्‍केबाज डोनजेटा साडिकु और उनके परिवार से माफी भी मांगी।

राजनीतिक भेदभाव नहीं होना चाहिए
राखिमोव ने कहा कि आईबा अंतरराष्‍ट्रीय संस्‍था है। टूर्नामेंट की मेजबानी देते समय उसकी प्राथमिकता यह होती है कि जिस देश को मेजबानी दी जा रही है, वहां सभी योग्य खिलाड़ी हिस्सा ले सकें और उनके साथ किसी तरह का कोई राजनीतिक भेदभाव न किया जाए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारतीय सरकार ने एक खराब राजनीतिक फैसला लिया और इस वजह से एक खिलाड़ी के विश्व चैम्पियनशिप में खेलने के सपना पूरा नहीं हुआ।

दोबारा कराई जा सकती है नीलामी
आईबा अध्यक्ष के अनुसार वह इसे लेकर गंभीर है। वह इस बात की पूरी कोशिश करेगा कि भविष्‍य में ऐसी स्थिति दोबारा न बने। इस वजह से यह संभावना जताई जा रही है कि भारत में 2021 में होने वाली विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप की नीलामी प्रक्रिया दोबारा शुरू की जाए। बता दें कि इससे पहले गुरुवार को एशियाई ओलम्पिक समिति (ओसीए) ने भी पत्र लिख कर भारत सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताई थी।

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