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नोएडा

यूूपी पुलिस का बड़ा कारनामा, दर्ज किए 15 साल पहले मर चुके व्यक्ति के बयान

मुकदमे में उस व्यक्ति महफूज को गवाह बनाकर बयान दर्ज कराए गए हैं, जिसकी 15 साल पहले मौत हो चुकी है।

नोएडाSep 12, 2018 / 02:49 pm

Rahul Chauhan

मेरठ। यूपी पुलिस का एक अजीबो-गरीब कारनामा सामने आया है। जिसको सुनकर कोई भी चौंक जाएगा। दरअसल किठौर पुलिस ने एक मुकदमे में 15 साल पहले मर चुके व्यक्ति को गवाह दिखाकर बयान दर्ज कर लिए। मामले का खुलासा उस समय हुआ जब पुलिस की केस डायरी से जानकारी मिली। इस मामले में अब पुलिस अधिकारियों से शिकायत की गई है। लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया है। आरोप है कि थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने से लेकर विवेचना तक तमाम गोलमाल किए और साजिश रची।
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किठौर में नई बस्ती मवाना रोड निवासी खिलाफत का इमरान, फरमान, आरिफ के साथ 12 जुलाई को विवाद हो गया था। इस मामले में खिलाफत पक्ष घायल हुआ। दोनों पक्षों की ओर से तहरीर दी गई थी। पुलिस ने फरमान की तहरीर पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया। इसके बाद खिलाफत, सलीम, अजीम, नईम और तीन-चार अज्ञात के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर दी। पुलिस ने खिलाफत को गिरफ्तार कर कातिलाना हमले में जेल भेज दिया। पुलिस ने केस डायरी के पर्चे काटे तो इसमें वादी के साथ गवाहों के भी बयान दर्ज किए गए। इन गवाहों में महफूज पुत्र वहीद निवासी मोहल्ला नई बस्ती के भी बयान पुलिस ने दर्ज किए हैं। इसके बाद खिलाफत पक्ष को मामले की जानकारी हुई। खिलाफत की पत्नी बेबी ने अधिकारियों से शिकायत करते हुए बताया कि पुलिस ने केस में फर्जीवाड़ा किया है। आरोप लगाया कि एक नेता के दबाव में फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया।
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मुकदमे में उस व्यक्ति महफूज को गवाह बनाकर बयान दर्ज कराए गए हैं, जिसकी 15 साल पहले मौत हो चुकी है। आरोप लगाया कि महफूज दूसरे पक्ष से इमरान के पिता हैं और उनकी मौत हो चुकी है। साथ ही आरोप लगाया कि इस प्रकरण में पुलिस ने विवेचना में खेल किया है। पुलिस ने घर पर हमले का मामला दिखाया है, जबकि घटनास्थल का नक्शा बनाने के दौरान घटनास्थल दोनों घरों के बाहर सड़क पर दिखाया गया है। पुलिस पर आरोपी पक्ष के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया गया है।
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पहले भी सामने आ चुके हैं पुलिस के खेल
कभी राजनीतिक दबाव तो कभी सेटिंग वाले मामले तो पहले भी सुर्खियों में आते रहे हैं। इसके अलावा खुद की कुर्सी बचाने के लिए भी पुलिस कई मामलों में खेल करती है। जिस वारदात में कार्रवाई करने को लेकर पुलिस के ऊपर ज्यादा दबाव बनता है तो पुलिस उनमें या तो कोई फर्जी गवाह या सबूत दिखाकर मामला दबाने का प्रयास किया जाता है। कई बार वादी को ही धमकाया जाता है। इस तरह के मामले पहले भी कई बार चर्चा में आ चुके हैं।

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