सबसे ज़्यादा शेर मध्य प्रदेश में मारे गए पिछले दस वर्षों की राज्य्वार जानकारी के बाद इस आरटीआई में वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार सबसे ज़्यादा शेर मध्य प्रदेश में मारे गए हैं। जिसकी संख्या 71 है। इसके बाद कर्णाटक एवं महाराष्ट्र आते हैं जहाँ 46 -46 शेर मार दिए गए। वहीं छत्तीसगढ़ में 43, आसाम में 42 एवं उत्तराखंड में 35 शेर मौत के घाट उतार दिए गए।
उत्तर प्रदेश में 25 एवं दिल्ली में भी शेर नहीं हैं सुरक्षित चौंकाने वाली बात यह है कि देश की राजधानी और शहरी बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद दिल्ली में भी शेर सुरक्षित नहीं हैं। कांग्रेस के राज में अर्थात 2008 से 2014 तक 6 शेर मार दिए गए, जबकि मोदी राज में 2014 से 2018 तक दिल्ली में 2 शेर मार दिए गए।
2019 तक यह संख्या 430 के करीब पहुंची ब्यूरो द्वारा दिसंबर में दी गई जानकारी के अनुसार 384 शेरों को जानकारी उपलब्ध थी किन्तु अद्यतन जानकारी के अनुसार यह संख्या 430 के करीब पहुँच चुकी है। जो बेहद चिंताजनक है।
2008 से 2013 तक 285 तो उसके बाद 2014 से 2018 तक 145 शेर मारे गए राजनीतिक दृष्टि से यदि देखा जाए तो कांग्रेस सरकार के समय शेर ज़्यादा असुरक्षित कहे जा सकते हैं। जब मोदी काल से लगभग दोगुने शेर देश भर में मारे गए। पर्यावरण प्रेमियों के लिए यह ख़ुशी की खबर ज़रूर हो सकती है कि पिछले पांच वर्षों में शेरों को मारने की संख्या लगातार गिर रही है और अब आधी रह गई है। किन्तु चिंता का विषय यह है के अभी भी शेरों को मारा जा रहा है और सरकारें पूर्ण रूप से इसपर रोकथाम नहीं कर पा रही है।
शेर की खाल आदि से प्राप्त आय गैरकानूनी , इसलिए कीमत शून्य मानी जाए तोमर द्वारा आरटीआई में यह भी पूछा गया था कि शिकारियों से प्राप्त शेरों की खाल आदि की ब्लैक मार्किट में क्या कीमत लगाई जाए। जिसके जवाब में ब्यूरो कहता है के इस प्रकार की जानकारी ब्यूरो द्वारा इसलिए नहीं रखी जाती क्यूंकि शेर की खाल बेचना देश में गैरकानूनी है, इसलिए इसकी कानूनी कीमत शून्य है।