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हैंडओवर से पूर्व ही क्षतिग्रस्त हुई 13 करोड़ से बनी छात्रावासों की दो बिल्डिंग

पूर्व विधायक पुत्र ने कराया काम, इसलिए अधिकारियों ने नहीं की मॉनीटरिंग
अनुसूचित जाति विभाग के दोनों छात्रावास की बिल्डिंगों का निर्माण पीआइयू के द्वारा करवाया गया था। बिल्डिंगों के निर्माण का ठेका ग्वालियर की फर्म को दिया गया लेकिन उसका काम पूर्व विधायक पुत्र ने कराया। इसलिए विभागीय अधिकारियों ने मॉनीटरिंग नहीं की। ठेकेदार ने अपनी मनमाफिक काम किया। खबर है कि पूर्व विधायक के पुत्र के चलते भुगतान भी समय पर कर दिया।

मोरेनाApr 26, 2024 / 10:47 pm

Ashok Sharma

  • क्षमतावृद्धि के बाद 180 सीटर छात्र- छात्राओं के लिए अलग- अलग दो नई बिल्डिंग बनाई गई। अभी तक हमने हैंडओवर नहीं किया है। शासन को लगातार पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन बिल्डिंग की मरम्मत नहीं कराई जा रही है।
    आशा सिंह, प्राचार्य, शासकीय संभागीय ज्ञानोदय छात्रावास
  • ज्ञानोदय छात्रावास परिसर में होस्टल की दो बिल्डिंग निर्माण कराई गई। इसमें करीब 13 करोड़ का भुगतान निर्माण एजेंसी को किया जा चुका है। अगर बिल्डिंग क्षतिग्रस्त हैं तो दिखवा लेते हैं।
    राहुल सिंह, एसडीओ, पीआइयू
मुरैना. अनुसूचित जाति विभाग के संभागीय ज्ञानोदय छात्रावास के लिए गल्र्स व बॉयज के लिए अलग- अलग दो बिल्डिंगों के निर्माण पर करीब 13 करोड़ का खर्च आया है। विभागीय अधिकारियों की अनदेखी कहें या मिली भगत, जिसके चलते गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया।
महाराजपुर के पास अनुसूचित जाति विभाग का संभागीय छात्रावास है। उसमें मुरैना, भिंड और श्योपुर जिले के छात्र- छात्राएं अध्ययनरत हैं। परिसर में छात्र व छात्राओं के लिए अलग- अलग होस्टल की बिल्डिंग बनी हुई हैं। यहां पहले 140 छात्र एवं 140 छात्राओं के रहने की क्षमता थी। वर्ष 2015 में क्षमतावृद्धि करते हुए 180 छात्र और 180 छात्राओं के लिए के रहने व पढऩे के लिए शासन स्तर से आदेश जारी किया गया। चूंकि पहले से जो बिल्डिंग बनी थी, उसकी क्षमता 140 छात्राओं के हिसाब से थी इसलिए शासन ने दोनों छात्रावासों के लिए अलग- अलग बिल्डिंग स्वीकृति की। इन बिल्डिंगों का निर्माण कोरोनाकाल में हो गया था लेकिन निर्माण कार्य गुणवत्ताहीन होने पर अभी तक बिल्डिंगों को विभाग ने हैंडओवर नहीं किया है। वर्तमान में दोनों बिल्डिंग क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। वेस जमीन में बैठ रहा है, दीवारों में बड़ी- बड़ी दरारें हो गई हैं। कमरों के अंदर फर्स भी क्षतिग्रस्त हालत में हैं। शासन का 13 करोड़ खर्च होने के बाद भी बिल्डिंग उपयोग लायक नहीं बची हैं।
पूर्व कलेक्टर भी करा चुकी हैं मरम्मत
कोरोनाकाल में होस्टल में कोरोना संक्रमित मरीजों को रखने के लिए पूर्व कलेक्टर प्रियंका दास ने मौका मुआयना किया था। पहले नई बिल्डिंग पहुंची लेकिन उसकी क्षतिग्रस्त हालत को देखकर उन्होंने नाराजगी जताई और उसकी मरम्मत के निर्देश दिए। विभाग ने उसकी मरम्मत भी करवाई लेकिन उसको हैंडओवर कर पाते, उससे पूर्व फिर से दोनों बिल्डिंग क्षतिग्रस्त हो गईं।
फर्नीचर लगाया और न दी राशि
छात्र व छात्राओं के लिए अलग अलग बनाए गई होस्टल की दो बिल्डिंगों में न तो फर्नीचर लगाया और न शासन से फर्नीचर के लिए कोई अलग से फंड भेजा इसलिए बिल्डिंग बेकार पड़ी हैं। पूर्व में जो 140 सीटर छात्रावासों की बिल्डिंग बनी थीं, उसमें फर्नीचर का पूरा सेटअप लगा हुआ था लेकिन इस बार फर्नीचर नहीं हैं। विभाग का मानना हैं कि फर्नीचर होता तो कक्षाएं शुरू कराई जा सकती थीं।
पूर्व विधायक पुत्र ने कराया काम, इसलिए अधिकारियों ने नहीं की मॉनीटरिंग
अनुसूचित जाति विभाग के दोनों छात्रावास की बिल्डिंगों का निर्माण पीआइयू के द्वारा करवाया गया था। बिल्डिंगों के निर्माण का ठेका ग्वालियर की फर्म को दिया गया लेकिन उसका काम पूर्व विधायक पुत्र ने कराया। इसलिए विभागीय अधिकारियों ने मॉनीटरिंग नहीं की। ठेकेदार ने अपनी मनमाफिक काम किया। खबर है कि पूर्व विधायक के पुत्र के चलते भुगतान भी समय पर कर दिया।
संभागीय अधिकारी का निवास परिसर में फिर भी जानकारी नहीं
प्रभारी जिला संयोजक व प्रभारी संभागीय उपायुक्त सौरव राठौर का निवास परिसर में ही हैं। लेकिन उनसे जब पूछा तो उन्होंने कहा कि छात्रावासों की बिल्डिंग के बारे में उनको कोई जानकारी नहीं हैं, प्राचार्य से बात कर लें। विडंवना ही है कि अधिकारी उसी परिसर में रह रहे हैं, उसके बाद भी उन्होंने क्षतिग्रस्त बिल्डिंगों पर ध्यान नहीं दिया।
कथन
  • क्षमतावृद्धि के बाद 180 सीटर छात्र- छात्राओं के लिए अलग- अलग दो नई बिल्डिंग बनाई गई। अभी तक हमने हैंडओवर नहीं किया है। शासन को लगातार पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन बिल्डिंग की मरम्मत नहीं कराई जा रही है।
    आशा सिंह, प्राचार्य, शासकीय संभागीय ज्ञानोदय छात्रावास
  • ज्ञानोदय छात्रावास परिसर में होस्टल की दो बिल्डिंग निर्माण कराई गई। इसमें करीब 13 करोड़ का भुगतान निर्माण एजेंसी को किया जा चुका है। अगर बिल्डिंग क्षतिग्रस्त हैं तो दिखवा लेते हैं।
    राहुल सिंह, एसडीओ, पीआइयू
  • https://www.patrika.com/morena-news/the-length-of-the-house-is-116-feet-150-feet-was-transferred-from-the-8800528

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