नियुक्तियां-
अब तक बीएमसी में होने वाली नियुक्तियों की फाइल कमिश्नर द्वारा अनुमोदित होती थी और लोकल स्तर से इंटरव्यू हो जाते थे। वहीं अब भोपाल में सीएमई-डीएमई स्तर से होंगे। संभावना ये भी है विभाग डीन को यह पावर दे दें।
निर्माण कार्य व टेंडर-
बीएमसी में निर्माण कार्य और विभिन्न कार्यों के टेंडर तो विभागीय स्तर से होते थे लेकिन कभी-कभी कमिश्नर की आपत्ति के बाद टेंडर निरस्त भी किए गए हैं। अब पूरी देखरेख भोपाल स्तर से होगी।
कार्रवाई का अधिकार-
अभी तक प्रोफेसर स्तर के अधिकारी-कर्मचारी पर कार्रवाई कमिश्नर कर सकते थे। कुछ प्रोफेसर व डॉक्टर्स पर कमिश्नर ने वेतन वृद्धि रोकने जैसी कार्रवाईयां भी की लेकिन अब भोपाल से ही हो सकेंगी।
खरीदी व संसाधन-
बीएमसी में यदि कोई सुविधा या कार्य की तत्काल आवश्यकता होती थी तो अभी कमिश्नर ईसी की बैठक में प्रस्ताव रखकर ऑटोनोमस के फंड से व्यवस्थाएं जुटा लेते थे। लेकिन अब यह निर्णय भी भोपाल से ही होगा।
खामियां-
व्यवस्था सुधार पर जिला प्रशासन अधिकारियों का हस्तक्षेप खत्म होगा। बीएमसी में कार्यरत फर्मों की लापरवाही पर त्वरित कार्रवाई नहीं हो सकेगी। नियुक्तियों में साक्षात्कार के लिए आवेदकों को भोपाल जाना पड़ सकता है। -बीएमसी कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष पद पर कमिश्नर की जगह डीएमई या सीएमई अधिकारी को नामांकित तो कर दिया गया है लेकिन अभी नियम-निर्देश नहीं आए हैं। नियुक्तियों, कार्रवाई के जो अधिकार कमिश्नर के पास थे अब संभवत: डीएमई व सीएमई के पास होंगे।
डॉ. रमेश पांडेय, डीन बीएमसी।