सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत आए गए आवेदन में भगत सिंह को शहीद का दर्जा देने की जानकारी मांगी गई थी। आरटीआई लगाने वाले ने पूछा था कि क्या भगत सिंह को क्रांतिकारी और शहीद का दर्जा नहीं दिया जा सकता है। अगर नहीं दिया जा सकता तो केंद्र सरकार इस संबंध में विस्तृत जानकारी दे। सरकार बताए क्या कानूनी दिक्कतें हैं। आवेदन पर सुनवाई के बाद सीआईसी ने गृह मंत्रालय से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने आरटीआई के आधर पर कहा, स्वतंत्रता सेनानियों को सरकार कई तरह की सुविधाएं और पेंशन देती है, लेकिन भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा ही नहीं दिया गया है।
आखिर क्रांतिकारियों की अनदेखी क्यों? आरटीआई के तहत यह आवेदन पहले राष्ट्रपति भवन को भेजा गया था। राष्ट्रपति भवन ने इस पर गृह मंत्रालय से जवाब मांगा लेकिन संतोषजनक जानकारी नहीं दी गई। इस पर आवेदक ने केंद्रीय सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। आचार्युलु के मुताबिक, राजनेताओं को आमतौर पर भारत रत्न दिया जाता है। जंग और शांतिकाल में वीरता के लिए शहीदों और सेना के बहादुर जवानों को वीरता सम्मान दिए जाते हैं। इसके बावजूद भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस समेत अन्य क्रांतिकारियों को नजरअंदाज किया गया।
सरबजीत को घोषित किया गया है शहीद आचार्युलु ने कहा, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शहीद घोषित करने की मांग हर साल उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर उठती है। आवेदन के मुताबिक कोट लखपत जेल में मौत के बाद पंजाब सरकार ने सरबजीत सिंह को राष्ट्रीय शहीद घोषित किया है, लेकिन भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों को आज तक यह दर्जा नहीं दिया गया।