जिले में मनासा तहसील के कंजाडऱ्ा और सिंगोली तहसील के पठारी क्षेत्र अच्छी बारिश हुई है। इन दोनों स्थानों पर किसानों ने बोवनी भी कर दी है। किसानों को दी गई सलाह अनुसार अधिकांश किसानों ने मक्का और मंूगफली की बोवनी की है। वैसे भी इन पठारी क्षेत्रों में पानी कम की ठहरता है। ऐसे में मक्का और मूंगफली की फसल में सूखा सहन करने की क्षमता होती है। इन क्षेत्रों में दुमट और लाल मिट्टी अधिक है। ऐसे में कम बारिश में मिट्टी फटती नहीं है। जो मक्का और मूंगफली के लिए काफी उपयोगी होती है।
ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एनसी पाटीदार ने बताया कि मानसून आगमन की सूचना है। सोयाबीन की बोवनी के लिए अभी उपयुक्त समय है, लेकिन कृषक लगभग 4 इंच वर्षा होने के बाद ही सोयाबीन की बुवाई करें। किसानों को सोयाबीन की बोवनी के लिए विभाग की ओर से सलाह दी गई है कि बोवनी बीबीएफ (चौड़ी क्यारी पद्धति) या रिज-फरो (कूड मेड़ पद्धति) से ही करे जिससे सुखे/अतिवर्षा को दौरान उत्पादन प्रभावित न हों। पाटीदार ने किसानों के लिए सुझाव दिया है कि सोयाबीन के लिए अनुशंसित पोषक तत्वों (नत्रजन:स्फुर:पोटाश:सल्फर) की पूर्ति के लिए उर्वरकों का प्रयोग संतुलित मात्रा में बोवनी के समय करें। इसके लिए सीड-कम-फर्टी सीड ड्रील का प्रयोग किया जा सकता है जिसकी अनुपस्थिति में चयनित उर्वरकों का खेत में छिड़काव करने के पश्चात बोवनी करें। सोयाबीन की बोवनी हेतु 45 सेमी कतारों की दूरी पर तथा न्यूनतम 70 प्रतिशत अंकुरण के आधार पर उपयुक्त बीज दर (55 से 75 किग्रा/हे.) का उपयोग करें। बोवनी के समय बीज उपचार अवश्य करें। इसके लिए अनुशंसित फफूदनाशक है-पेनफ्लूफेन+ट्रायफ्लोक्सीस्ट्रोबीन (1 मिली/किग्रा बीज) अथवा थायरम+कार्बोक्सीन (3 ग्राम/कि.ग्रा.बीज) अथवा थायरम +कार्बेन्डाजिम (2:1) 3 ग्रा./किग्रा बीज अथवा जैविक फफूदनाशक ट्राइकोर्डमा (10 ग्राम/किग्रा. बीज) तत्पश्चात् जैविक कल्चर ब्रेडीराइझोबियम जपोनिकम एवं स्फुर घोलक जीवाणु (पीएसएम) दोनों प्रत्येक (5 ग्राम/किग्रा बीज) की दर से टीकाकरण की भी अनुशंसा है।
सफेद सुंडी का प्रकोप पर करें दवा का छिड़काव पीला मोजाईक बीमारी की रोकथाम हेतु सलाह है कि फहूंदनाशक से बीजोपचार के साथ-साथ अनुशंसित कीटनाशक थायोमिथाक्सम 30 एफएस (10 मिली/किग्रा बीज) या इमिडाक्लोप्रिड 48एफएस (1.2 मिली/किग्रा बीज) से भी उपचार करें। पिछले साल जिन स्थानों पर सोयाबीन की फसल पर व्हाइट ग्रब (सफेद सुंडी) का प्रकोप हुआ था वहां के किसान विशेष ध्यान दें। ऐसे किसान व्हाइट ग्रब के वयस्कों को एकत्र कर नष्ट करने के लिए प्रकाश जाल अथवा फरोमोन ट्रैप का प्रयोग करें। बोवाई से पूर्व इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस (1.25 मिली. प्रति किलो बीज) से बीजोपचार अवश्य करें। बोवनी के तुरंत बाद एवं सोयाबीन के अंकुरण पूर्व खर पतवारनाशक जैसे डाइक्लोसुलम 26 ग्राम/हेक्टेयर अथवा सल्फेन्ट्राझोन 750 मिली/हेक्टेयर अथवा पेन्डीमिथालीन 3.25 लीटर/हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
जिले में चालू वर्षाकाल में अब तक 106.६ मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। नीमच में 129 मिमी मनासा में 97.4 मिमी एवं जावद में 93.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। पिछले साल इस अवधि में औसत 132.6 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी। नीमच में 155 मिमी मनासा में 90 मिमी एवं जावद में 153 मिमी वर्षा दर्ज की गई थी। जिले में 28 जून को सुबह 8 बजे समाप्त हुए पिछले चौबीस घंटों के दौरान औसत 6.6 मिमी वर्षा दर्ज हुई है। नीमच 13 मिमी जावद में 7 मिमी वर्षा दर्ज की गई है जबकि मनासा में वर्षा नहीं हुई है।
जिले में सिंगोली और कंजाडऱ्ा बेल्ट में ही सबसे अच्छी बारिश हुई है। इन पठारी क्षेत्रों में किसान परम्परागत रूप से सबसे अधिक मक्का और सोयाबीन की ही बोवनी करते हैं। रतलाम और मंदसौर जिले की तुलना में नीमच जिले में अब तक काफी कम बारिश हुई है। जिले में अब तक 25 से 30 फीसदी हिस्से में बोवनी हो चुकी है।
– एनसी पाटीदार, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी