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टाटा मुंबई मैराथन-2018 ने चैरिटी के पिछले सभी रिकार्ड तोड़े, विभिन्न एनजीओ ने 25 करोड़ रुपये जमा किए

इस मैराथन के माध्यम से जमा राशि का उपयोग बच्चों की शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सेवा, सुरक्षा, पर्यावरण और समाजिक जागरुकता पर खर्च किए जाएंगे

Jan 17, 2018 / 10:06 am

Kuldeep

Tata Mumbai Marathon -2018 broke previous records of charity
नई दिल्ली। टाटा मुंबई मैराथन सिर्फ रेस फिनिश करने का नाम नहीं है। यह अब एक ऐसा माध्यम बन गया है, जो समाज में बदलाव लाने के हकीकत को साकार कर रहा है। यही कारण है कि टाटा मुंबई मैराथन-2018 ने चैरिटी के पिछले सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। 21 जनवरी को मुंबई में होने वाले इस मैराथन के लिए 259 विभिन्न एनजीओ ने 25 करोड़ रुपये जमा किए हैं। मैराथन से जुड़े यंग लीडर्स ने इस रकम का 24 फीसदी योगदान दिया है। प्रोकैम इंटरनेशनल द्वारा आयोजित होने वाले इस मैराथन के माध्यम से जमा इस राशि का उपयोग बच्चों की शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सेवा, सुरक्षा, पर्यावरण और समाजिक जागरुकता को लेकर देश भर में प्रयास किए जाएंगे। इस मैराथन से जुड़े लोगों तथा कम्पनियों ने अपने दिल के करीब रहे कार्यों व उद्देश्यों के लिए दिल खोलकर प्रचार किया और धनराशि जमा की।
अपने जन्मदिन के दिन मैराथन में हिस्सा लेंगे चार धावक
युनाइटेड वे मुंबई की सीईओ जयंती शुक्ला ने कहा, ”15वें टाटा मुम्बई मैराथन से कई प्ररणादायक कहानियां जुड़ी हैं। इस साल चार लोग ऐसे हैं, जो अपने जन्मदिन के दिन मैराथन में हिस्सा ले रहे हैं। इस साल मैराथन में हिस्सा लेने वाले सबसे उम्रदराज व्यक्ति भीम सिंघाल हैं जिनकी उम्र 84 साल है। इस भावना को आगे बढ़ाते हुए युनाइटेड वे मुंबई से जुड़े यंग लीडर्स (21 साल के कम उम्र के) ने चैरिटी फंड जमा किए। ये युवा सामाजिक रूप से जाग्रत हैं और अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी समझते हैं और सामाजिक बदलाव के लिए पूरे जुनून से काम करते हैं। इस साल मैराथन से 231 यंग लीडर्स पंजीकृत हैं और यह संख्या बढ़ती ही जा रही है।
चैरिटी की राशि बढ़ती जा रही है
इस अवसर पर प्रोकैम इंटरनेशनल के संयुक्त प्रबंध निदेशक विवेक सिंह ने कहा, हर साल टाटा मुंबई मैराथन से जमा होने वाली चैरिटी की राशि बढ़ती ही जा रही है। हमारे फिलेनथ्रोपी पार्टनर युनाइटेड वे मुम्बई के साथ हमारा सफर शानदार रहा है। मैं खुश हूं कि हम इस मैराथन के माध्यम से जमा राशि से लोगों के जीवन में खुशियां लाने का प्रयास कर सकते हैं।
कुछ यंग लीडर्स इस प्रकार हैं :

सिद्धार्थ दत्त : 12 साल के सिद्धार्थ ने अपने दोस्त अरव तथा राजवीर (दोनों 13 साल) के साथ मिलकर 16.1 लाख रुपये की राशि जुटाई है। सिद्धार्थ मशहूर फिल्म अभिनेता संजय दत्त की सांसद बहन प्रिया दत्त के बेटे हैं। प्रिया सालों से नरगिस दत्त फाउंडेशन के लिए चैरिटी जुटाती रही हैं। सिद्धार्थ दिग्गज फिल्म अभिनेता सुनील दत्त और नरगिस दत्त के नाती हैं।
नंदन वेंकटेशरन : ह्यस्पार्क ए चेंज के लिए फंडरेजिंग कर रहे नंदन ने अपने अभियान के तहत 1.6 लाख रुपये जुटाए हैं। स्पार्क ए चंज की स्थापना नंदन की मां निर्मला वेंकटेशरन ने किया है।
कबीर दीवानजी : 13 साल के कबीर कन्सर्न इंडिया फाउंडेशन के माध्यम से चैरिटी जुटा रहे हैं और वह अब तक कुल 1.6 लाख रुपये जुटा चुके हैं। यह बीते साल जुटाई गई उनकी रकम से अधिक है।
अम्बर डांगे : पहली बार फंडरेजिंग कर रहे अम्बर ने सलाम बाम्बे के लिए 3.5 लाख रुपये जुटाए। अम्बर मानते हैं कि शिक्षा हर बच्चे का मूलभूत अधिकार है और वह इसके लिए सदैव प्रयासरत रहे हैं।
मीरा मेहता : मीरा साल 2012 से ही यंग लीडर्स की सदस्य रही हैं और वह टाटा मुंबई मैराथन में श्रीमत राजचंद्र लव एंड केयर का समर्थन कर रही हैं। वह मेडिकल छात्रा हैं और अब तक 4.1 लाख रुपये जुटा चुकी हैं। वह चाहती हैं कि रकम का उपयोग गुजरात के धरमपुर में एक 250 बिस्तरों वाले अस्पताल के निर्माण में किया जाए।
निशिकी : निशिकी फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन के लिए फंड रेजिंग का काम कर रहे हैं। यह संस्था गरीब लड़कियों को कम कीमत वाला सैनिटरी नैपकीन प्रदान करती है। इस साल निशिकी ने 91 हजार रुपये जुटाए हैं।
इशा गुलाटी : इशा एक बार फिर अपनी बहनों-मालिनी और सायना के साथ थालासेमिया से पीड़ित बच्चों के लिए फंडरेजिंग कर रही हैं। इस साल इन तीनों ने थिंक फाउंडेशन के लिए 11.5 लाख रुपये जुटा लिए हैं।
अराध्या शिवकुमार : अराध्या पांचवें साल फंडरेजिंग का काम कर रही हैं। वह मुंबई मैराथन के लिए ईशा विद्या के माध्यम से फंडरेजिंग में जुटी हैं। वह अब तक 2.27 लाख रुपये जुटा चुकी हैं, जिसका उपयोग ग्रामीण बच्चों की शिक्षा के लिए होगा।
आर्या पांचाल : द लाइट ऑफ लाइट ट्रस्ट के लिए फंडरेजिंग कर रहीं कक्षा 10 की विद्यार्थी आर्या अब तक 64,500 रुपये जुटा चुकी हैं। वह तीन साल से फंडरेजिंग कर रही हैं। वह चाहती हैं कि उनके द्वारा जुटाए गई राशि का उपयोग ग्रामीण बच्चों की शिक्षा के लिए खर्च किया जाए।
नंदिनी पेटलुरी : 11 साल की नंदिनी थिंक पीस फाउंडेशन के लिए अब तक 50 हजार रुपये जुटा चुकी हैं। नंदिनी का परिवार बीते साल अमेरिका से भारत आया है लेकिन वह अमेरिका से ही बाते चार सालों से फंडरेजिंग का काम कर रही हैं। छोटी उम्र में ही नंदिनी ने थिंक पीस फाउंडेशन को सपोर्ट करने के लिए एक वॉलिंटियर ग्रुप तैयार किया था।
वेदांत शाह : 13 साल के वेदांत इस साल इस मैराथन में बच्चों के यौन उत्पीड़न को लेकर जागरुकता लाने के लिए फंड रेजिंग कर रहे हैं। वह द फाउंडेशन के एचईएएल (हील) प्रोग्राम के माध्यम से अब तक 50 हजार रुपये जुटा चुके हैं। हील का मतलब है-हेल्प इरेडिकेट एब्.यूज थ्रू लनिर्ंग।

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