केंद्र ने 2018 में कार्यालय ज्ञापन में संशोधन कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को देश के आर्थिक हित में डिफॉल्टर्स के खिलाफ एलओसी जारी करने का अधिकार दिया था। इसके तहत अगर किसी व्यक्ति का विदेश जाना देश के आर्थिक हित के लिए हानिकारक हो सकता हो तो उसे ऐसा करने से रोका जा सकता है।
याचिकाओं में तर्क दिया गया कि ‘देश के आर्थिक हित’ वाक्यांश की तुलना किसी भी बैंक के ‘वित्तीय हितों’ से नहीं की जा सकती। किसी भी बैंक की वित्तीय चिंताएं ‘देश के आर्थिक हितों’ के अनुरूप नहीं हैं। यह तर्क भी दिया गया कि केंद्र का परिपत्र संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार को कम करता है।