scriptकिसी को दु:ख देना सबसे बड़ा पाप : नित्यानंदजी | Sadness is the biggest sin to anyone: Nitayanand ji | Patrika News
नरसिंहपुर

किसी को दु:ख देना सबसे बड़ा पाप : नित्यानंदजी

एक एक गाय हर हिंदू को पालनी चाहिए, यही मवेशियों की समस्या का एकमात्र उपाय है। शहरों के लोग गौशालाओं में एक गाय गोद लेकर खर्चा दें। उक्ताशय के विचार सोमवार को ग्राम डूंगरिया (सालीचौका) में भागवत कथा के प्रथम दिन ऋषिकेश के संत स्वामी नित्यानंद गिरी जी महाराज ने व्यक्त किए।

नरसिंहपुरJan 15, 2019 / 12:17 pm

ajay khare

Bhagwat katha

Bhagwat katha

गाडरवारा। लोग अपनी फसल की रक्षा के लिए गायों को डंडे मार रहे हैं। कभी कभी तो इतना मारते हैं कि वह घायल हो जाती है, सड़कों पर भी वाहन से कुचली जाती है। आज लोगों ने अपने घरों से निकालकर गोवंश को डंडे खाने के लिए छोड़ दिया है। जिस गाय की पूर्वज पूजा करते थे, शास्त्रों में जिस गौ माता को इतना ऊंचा स्थान दिया गया है वह आज कितनी दुखी है। एक एक गाय हर हिंदू को पालनी चाहिए, यही मवेशियों की समस्या का एकमात्र उपाय है। शहरों के लोग गौशालाओं में एक गाय गोद लेकर खर्चा दें। उक्ताशय के विचार सोमवार को ग्राम डूंगरिया (सालीचौका) में भागवत कथा के प्रथम दिन ऋषिकेश के संत स्वामी नित्यानंद गिरी जी महाराज ने व्यक्त किए। स्वामी जी ने आगे बताया कि सत्संग की बहुत महिमा है। सत्संग से धुंधकारी जैसे पापी का भी उद्धार हो गया। जो पाप करते करते प्रेत बन गया था। पापी मनुष्य अधोगति में जाता है, हमें पाप से बचकर रहना चाहिए। किसी को दुख देना ही सबसे बड़ा पाप है। धुंधकारी सबको दुख देता था और उसका भाई गोकर्ण सबको सुख देता था। सबका उद्धार चाहो, भला चाहो तो आप को शांति मिलेगी, उद्धार होगा। सबका भला चाहना ही भक्ति है। तीर्थ स्नान दान पुण्य नर्मदा परिक्रमा करना अच्छा है पर किसी को दुख न देना उससे भी बड़ी बात है। तीर्थ को गंदा करना पाप है, आज आपने नर्मदा को कितना गंदा कर दिया है। घाट की तट की सफ ाई करना स्नान से ज्यादा पुण्य का काम है। अत: हमें तीर्थों को साफ रखना चाहिए। गायों की माता पिता की सेवा से ही भगवान प्रसन्न होते हैं। इस दौरान ग्राम सरपंच ने सभी क्षेत्रवासियों से सत्संग श्रवण की अपील की है। यह कथा सत्संग एवं मूर्ति स्थापना का कार्यक्रम 20 जनवरी तक ग्राम डुंगरिया में चलेगा। 21 जनवरी को भंडारा प्रसादी आयोजित किया गया है। आगे बताया कथा में दान दक्षिणा लेकर न आए क्योंकि ऐसा स्वामी जी का आदेश है।

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