अस्पताल में कैंटीन का अभाव मरीजों परिजनों को होती परेशानी
इतने बड़े अस्पताल में भीतर परिसर में एक भी केंटीन न होने से मरीजों के परिजनों को कुछ खाने पीने एवं चाय, दूध बिस्कुट आदि के लिए परिसर के बाहर दूर जाना पड़ता है। जहां कुछ दुकानें सड़क किनारे लगी हुई हैं। जो परिजनों के लिए बेहद असुविधाजनक पड़ता है। वहीं बाहर की दुकानें रात को आठ बजे तक बंद हो जाती हैं।
गाडरवारा। नगर के शासकीय सिविल अस्पताल में पूरी तहसील के साथ समीपी जिलों के मरीज उपचार कराने आते हैं। तहसील का सबसे बड़ा अस्पताल होने से यहां गर्भवती महिलाएं, विभिन्न बीमारियों एवं दुर्घटना के मरीज आते हैं। इसके साथ ही अस्पताल में लगने वाले नसबंदी शिविरों एवं परीक्षण शिविरों के दौरान बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। लेकिन इतने बड़े अस्पताल में भीतर परिसर में एक भी केंटीन न होने से मरीजों के परिजनों को कुछ खाने पीने एवं चाय, दूध बिस्कुट आदि के लिए परिसर के बाहर दूर जाना पड़ता है। जहां कुछ दुकानें सड़क किनारे लगी हुई हैं। जो परिजनों के लिए बेहद असुविधाजनक पड़ता है। वहीं बाहर की दुकानें रात को आठ बजे तक बंद हो जाती हैं। ऐसे में किसी को चाय, दूध बिस्कुट या खाद्य सामग्री लेना हो तो इसकी कोई सुविधा नही है।
जबकि अस्पताल में ही एक भवन पर केंटीन अंकित है। जिस पर ताला पड़ा रहता है। पूर्व में यहीं अस्पताल की केंटीन थी, जहां बाजिब दाम पर लोगों को खाने पीने की वस्तुए सहजता से उपलब्ध हो जाती थीं। कई महीनों तक उक्त केंटीन भवन गैलरी में स्थित होने से सभी वार्ड के मरीजों एवं परिजनों के लिए बेहद सुविधा जनक होने के बावजूद बंद पड़ा रहा। बताया जाता है आजकल इसमें जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का काम किया जा रहा है।
दूसरी ओर अस्पताल में अनेक जगह नए भवन, वार्ड बनाए जा रहे हैं। लेकिन मरीजों को मूलभूत केंटीन सुविधा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। लोगों का कहना है यदि अस्पताल के अंदर ठेके पर केंटीन खुलवाई जाए तो मरीजों, परिजनों को सुविधा मिलने के साथ अस्पताल को प्रतिमाह निश्चित आय का अतिरिक्त जरिया भी उपलब्ध होगा। लेकिन मरीजों को मूलभूत केंटीन सुविधा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। लोगों का कहना है यदि अस्पताल के अंदर ठेके पर केंटीन खुलवाई जाए तो मरीजों, परिजनों को सुविधा मिलने के साथ अस्पताल को प्रतिमाह निश्चित आय का अतिरिक्त जरिया भी उपलब्ध होगा।
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