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नागौर

बगैर ड्यूटी के आयुक्त, सचिव ने किए हस्ताक्षर

नगर परिषद सभापति कृपाराम सोलंकी ने लगाए गंभीर आरोप… कहा, उनके निलंबन की रची जा रही साजिश

नागौरApr 04, 2018 / 11:15 am

Dharmendra gaur

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Nagaur parishad commissioner shrwan chaudhary transferred

नागौर. नगर परिषद के तत्कालीन आयुक्त श्रवणराम चौधरी ने 28 मार्च को मेड़ता सिटी स्थानांतरण हो जाने के बावजूद 30 मार्च को नागौर कार्यालय में चिपती जमीन के लिए राशि जमा करवाने तथा पूर्व में सचिव की ओर से ई मित्र की स्वीकृति निरस्त करने के बावजूद आनन-फानन में पद का दुरुपयोग कर स्वीकृति देते हुए राशि जमा करवाने के आदेश दे दिए। नगर परिषद सभापति कृपाराम सोलंकी ने मंगलवार को प्रेस वार्ता में यह बात कही। सोलंकी ने कहा कि तबादला होने के बावजूद नियम विरुद्ध कार्य करने पर चौधरी को नियमानुसार रिलीव किया था।
सरकार ने दिए हैं अधिकार
राज्य सरकार की ओर से राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 49 एवं 432 में किए गए संशोधन 18 मई 2017 से प्रभावी हो गए। जिसमें नगरीय निकायों के अध्यक्षों को नगरीय निकायों के वित्तीय और प्रशासनिक नियंत्रण के पूर्ण अधिकार दिए गए हैं, इसके बावजूद आयुक्त श्रवण चौधरी व सचिव नरेन्द्र बापेडिय़ा के जनवरी 2018 में अनुपस्थित रहने व बाद में रजिस्टर में हस्ताक्षर करने के मामले में आयुक्त ने जवाबी पत्र लिखकर कहा कि उन्हें नोटिस देने का अधिकार ही नहीं है। ऐसे में या तो सरकार का आदेश गलत है या आयुक्त को सरकार से ज्यादा नियमों की जानकारी है।
एक तरफा हो रही कार्रवाई
सोलंकी ने कहा कि भू माफिया व उसके कुछ लोगों की शिकायत पर उनके खिलाफ द्वेषतापूर्वक कार्रवाई की जा रही है, जबकि उनकी ओर से दर्ज मामलों में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पूर्व में सात बिन्दुओं की शिकायत की तथ्यात्मक रिपोर्ट 24 अक्टूबर 2016 को तत्कालीन आयुक्त श्रवणराम चौधरी ने भिजवाई थी, जिसमें कोई अनियमिता नहीं पाई गई। इसके बावजूद बार-बार उन्हीं बिन्दुओं को आधार बनाकर डीएलबी में शिकायत कर कुछ लोगों की शह पर उनको निलंबित करने का दबाव बनाया जा रहा है। जिला कलक्टर व एसीबी की जांच में भी उनके खिलाफ शिकायतें झूठी पाई गई है।
नियम विरुद्ध किए हस्ताक्षर
सोलंकी ने कहा कि गत 6 मार्च को आयुक्त श्रवण चौधरी व सचिव नरेन्द्र बापेडिय़ा के 4,5 व 6 मार्च 18 को उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं थे, लेकिन बाद में ड्यूटी पर नहीं आने के बावजूद एक साथ हस्ताक्षर दिए। सोलंकी ने आरोप लगाया कि ई मित्र लगाने के ओमप्रकाश के आवेदन को सचिव नरेन्द्र बापेडिय़ा ने उचित कारण से निरस्त कर दिया, उसी आवेदन पर आयुक्त ने तबादला होने के बाद 30 मार्च को स्वीकृति दे दी। सोलंकी ने कहा कि कुछ लोग सरकार पर दबाव बनाकर उनको निलंबित करने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार दूसरे विभाग के सक्षम स्तरीय अधिकारी से जांच करवाए तो पूरे मामले की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

नियमानुसार किए हस्ताक्षर
मेरे पास नागौर व मेड़ता का चार्ज होने के कारण देरी से हस्ताक्षर किए होंगे। पत्रावलियों पर नियमानुसार हस्ताक्षर किए हैं। सभापति स्वयं पद व सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रहे हैं और उनकी कार्य शैली से कर्मचारी भी भय के माहौल में काम करते हैं।
श्रवणराम चौधरी, अधिशाषी अधिकारी, मेड़ता सिटी

दो जगह थी जिम्मेदारी
मौका निरीक्षण के लिए फील्ड में होने की वजह से बाद में हस्ताक्षर किए होंगे। साथ ही उस दौरान मेरे पास कुचेरा का भी चार्ज था, जिसकी वजह से दोनों जगह काम देख रहा था।
नरेन्द्र बापेडिय़ा, सचिव व आयुक्त नगर परिषद, नागौर

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