वहीं, दूसरी तरफ चितौड़गढ़ जिले की शिम्भुपुरा पुलिस की ओर से 28 ट्रकों में लोड 326 गौवंश को खाली करवाकर गोशालाओं में भिजवाने के मामले का कोई निस्तारण नहीं हुआ है। जिससे पशुपालकों में रोष व्याप्त है। मेड़ता के पशु मेला मैदान और आसपास 100 के करीब ट्रक लेकर पशुपालक बॉर्डर पार करके एमपी, जाने का इतंजार कर रहे हैं। यहां 1500 के करीब पशुधन के महंगे भाव के चारे का खर्चा भी पशुपालक उठाने को मजबूर है। जिसकी वजह से दिन-बे-दिन पशुपालकों के लिए यहां रुकना कठिन होता जा रहा है।
एक सप्ताह बीता : पशुपालकों को झेलना होगा ट्रांसपोर्टेशन किराये का नुकसान दरअसल, पशुपालकों को परिवहन के लिए यह सभी ट्रक जरिए ट्रांसपोर्ट कंपनी के मुहैया करवाए गए हैं। इसके बाद 17 अप्रेल से रवानगी शुरू की गई। लेकिन बॉर्डर पार पशुपालकों के ट्रकों को रोकने व गौवंश को खाली करवाने से मेड़ता में रुके पशुपालक जाने से कतरा रहे हैं। अब इन्होंने जो ट्रक परिवहन को लेकर लिए थे उनमें से कई तो चले गए और कई अभी भी खड़े हैं। ऐसे में पशुपालकों को अब इस ट्रांसपोर्ट के इतने दिनों का अतिरिक्त किराया भी झेलना पड़ेगा।
चिकित्सक दल, पुलिस एक्सकोर्ट के साथ रवाना होंगे: मीणा पशुपालन विभाग नागौर के संयुक्त निदेशक डॉ. महेश कुमार मीणा ने बताया कि वार्ता से समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं। अगर दो दिनों में मामले का निस्तारण नहीं होता तो 27 अप्रेल को पशुपालकों के ट्रकों को यहां से रवाना करने के प्रयास है। चिकित्सक दल एवं पुलिस एस्कॉर्ट के साथ पशुपालकों को एमपी में प्रवेश दिलवाया जाए इसको लेकर पुलिस अधीक्षक को पुलिस जाब्ते के लिए लिखा गया है।
इनका कहना है… यह एमपी स्टेट का मैटर है। राजस्थान में तो पशुपालकों को कहीं रोका नहीं है। एमपी जाने से रोका है तो ये दो राज्यों का मैटर हो गया। हमने हमारी तरफ से सारे लेटर, डॉक्यूमेंट व परमिशन भी जारी की। हमने वहां के प्रशासन से बातचीत भी की है, लिखित में लेटर भी भेज दिए। कैसे भी करके पशुपालकों को पहुंचाया जाए, ये कोशिश जारी है।
– पूनम चोयल, उपखंड अधिकारी, मेड़ता सिटी।