मुजफ्फरनगर। विधानसभा चुनाव 2007 में विधान सभा क्षेत्र खतौली से सपा प्रत्याशी प्रमोद त्यागी के समर्थन में स्टार प्रचारक के रूप में आए अखिलेश यादव पहुंचे थे। अखिलेश के साथ चार तत्कालीन सपा नेताओं भी थे और उन पर भी आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज किया गया था। अब इस मुकदमे को वापस वापस लेने लिये उत्तर प्रदेश सरकार के अभियोजन विभाग ने सीजेएम न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुख्यमंत्री सहित पांचों सपा नेताओं पर दर्ज मुकदमे को वापस लेने की मांग की हैं।
मुजफ्फरनगर के वर्तमान जिला बार संघ के अध्यक्ष प्रमोद त्यागी को सपा ने 2007 में खतौली विधानसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी घोषित किया था। इसी चुनाव में प्रमोद त्यागी के समर्थन में उस समय सपा के स्टार प्रचारक रहे वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खतौली में नगर पालिका परिषद के मैदान में एक सितंबर 2007 को एक विशाल जनसभा आयोजित की थी। जिसमें अखिलेश यादव का हेलीकॉप्टर केके जैन कालेज के मैदान में उतरा गया था और अखिलेश यादव वहां से कारों के काफिले के साथ नगर पालिका मैदान में बने जनसभा स्थल तक पहुंचे थे।
अखिलेश यादव तो इस जनसभा को संबोधित कर के चले गए थे। इसके बाद खतौली कोतवाली पुलिस ने अपनी ओर से अखिलेश यादव, सपा प्रत्याशी प्रमोद त्यागी, राजकुमार यादव, संजय चौहान और शाहिद अखलाक के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज कर लिया था। पुलिस का मानना था कि जनसभा के दौरान आदर्श आचार संहिता का खुलकर उल्लंघन किया गया है। ली गयी अनुमति के हिसाब से सभा स्थल पर भीड़ भी अधिक बुलाई गयी थी। जिसमें अखिलेश यादव के काफिले में कारें ज्यादा शामिल कर आचार संहिता की धज्जियां उड़ाई गयी थी जिस वजह से पुलिस ने चुनाव आयोग के निर्देशानुसार आचार संहिता के उलंघन का मामला दर्ज किया था।
विधान सभा चुनाव 2007 के दौरान पुलिस की ओर से दर्ज ये मुकदमा तभी से सीजेएम न्यायालय में विचाराधीन है। जिसमें एक आरोपी वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री है जबकि दूसरे आरोपी संजय सिंह चौहान पूर्व सांसद की मृत्यु हो चुकी है अब इस मामले में पांच नवंबर की तारीख लगी है। मामला प्रदेश के मुख्यमंत्री से जुड़ा होने के कारण प्रदेश सरकार का अभियोजन विभाग सक्रिय हो गया है। अभियोजन विभाग की ओर से मुकदमा वापस लेने के लिए सीजेएम के न्यायालय में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है। अब मामले में निर्णय न्यायालय को लेना है।