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कंप्यूटर स्क्रीन पर मिला था हथियार लॉंच करने का मैसेज
बता दें कि बालाकोट ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए वायुसेना ने स्पाइस-2000 गाइडेड बमों के कंप्यूटर मेमरी को उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों और सटीक भौगोलिक जानकारी से भरा। इसके बाद इसे इंडियन एयरफोर्स के ग्लवालियर बेस पर मिराज-2000 विमानों में लोड कर दिया, ताकि निशाना सही जगह पर लगे। इस पूरी प्रक्रिया को करने का एक ही उद्देश्य था कि किसी भी सूरत में ऑपरेशन असफल न हो जाए। बता दें कि पूरी रणनीति के तहत ही वायुसेना के पायलट मिराज-2000 को लेकर 26 फरवरी को मिशन पर रात के तीन बजे उड़ान भरा। जब मिराज-2000 विमान पीओके के दो से 10 किलोमीटर अंदर थे तो कंप्यूटर स्क्रीन पर हथियार लॉंच करने का मैसेज आया और फिर पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। पीओके के दो से 10 किलोमीटर अंदर से इसे दागने पर इस बात की बेहद कम आशंका थी कि एक हजार किलोग्राम का यह बम अपने लक्ष्य से भटक जाए।
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वायुसेना के जांबाजों ने पाकिस्तानी वायुसेना को दिया चकमा
इस ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए वायुसेना ने पाकिस्तानी वायुसेना को चकमा दिया था। मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि रेडार और सुखोई-30 एमकेआई विमानों से हमले के पहले और बाद में ली गई तस्वीरों से पता चला कि बम ने पूरी शुद्धता के साथ आतंकी ठिकानों को बर्बाद किया है। हालांकि इसकी जानकारी मिलना मुश्किल है कि इस ऑपरेशन में कितने आतंकी मारे गए। आगे बताया गया है कि ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए भारतीय जांबाजों ने पाकिस्तानी वायुसेना को चकमा दिया। वायुसेना ने कुछ विमानों को जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय बहावलपुर के लिए मोड़ा था। इससे यह हुआ कि पाकिस्तान के लड़ाकू विमान हमले के समय बालाकोट से करीब 150 किमी दूर थे। इसका फायदा उठाकर भारतीय वायुसेना पाकिस्तान के अधिक अंदर घुसकर ऑपरेशन को अंजाम देकर सुरक्षित वापस लौट आए।