2006 में शुरू हुआ विवाद
बता दें कि वर्ष 2006 में मुंबई के बांद्रा में 2,412 वर्ग गज की जमीन पर निर्माण के लिए सुपरस्टार दिलीप कुमार और और प्राजिता रियल एस्टेट फर्म के बीच समौझात हुआ था। काफी वक्त गुजर जाने के बाद भी निर्माण नहीं होने पर दिलीप कुमार ने बिल्डर से बंगला वापस मांगा था लेकिन नहीं बिल्डर ने इनकार कर दिया। जिसके बाद मामला कोर्ट पहुंच गया।
4 हफ्ते में जमा करने होंगे 20 करोड़
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जे चेममेश्वर और एस अब्दुल नाज़र की पीठ ने बुधवार को कहा कि दिलीप कुमार चार हफ्ते में 20 करोड़ रुपए का डिमांड ड्राफ्ट जमा करवाएं और इसकी सूचना दूसरे पक्ष यानि रियल एस्टेट फर्म को भी दें। कोर्ट ने आगे कहा कि बिल्डर को विवादित बंगले से अपने सिक्योरिटी गार्ड को हटाकर इसकी सूचना सात दिन के अंदर मुंबई पुलिस को देनी होगी। पुलिस कश्मीनर की मौजूदगी में पाली हिल्स बंगला दिलीप कुमार को सौंप दें।
रिटायर जज करेंगे मामले की मध्यस्थता
कोर्ट ने इसके साथ ही मुंबई पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि बंगाला सौंपने की कार्रवाई कर एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट कोर्ट में सौंपना होगा। इस रिपोर्ट पर कोर्ट की संतुष्टि के बाद ही प्राजिता डेवलपर 20 करोड़ रुपए निकाल पाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने रियल एस्टेट फर्म को हुए नुकसान के सही अनुमान के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज पी वेंकटाराम रेड्डी को मध्यस्थ नियुक्त किया है। रेड्डी को मामले की तह तक जाकर जांच के बाद यह तय करना होगा कि क्या प्राजिता रियल एस्टेट फर्म 20 करोड़ या उससे ज्यादा के रकम की हकदार है या नहीं