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जगन्नाथ मंदिर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश के विरोध में उतरे शंकराचार्य, वीएचपी ने भी जताई थी आपत्ति

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन वहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं को भगवान की पूजा अर्चना करने दें, चाहे वो किसी भी धर्म से वास्ता रखनेवाले हों।

Jul 08, 2018 / 12:25 pm

Shweta Singh

shankaracharya against entry of non-hindus in jagannath temple

जगन्नाथ मंदिर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश के प्रस्ताव के विरोध में उतरे शंकराचार्य, वीएचपी ने भी जताई थी आपत्ति

भुवनेश्वर। शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती और भगवान जगन्नाथ का पहला सेवक माने जाने वाले गजपति राजा दिब्यसिंह देव ने श्री जगन्नाथ मंदिर में गैरहिंदुओं के प्रवेश पर आपत्ति जताई है। उन्होंने इसके संबंध में पेश किए गए एक प्रस्ताव पर अपना विरोध जाहिर किया है। बता दें कि ये मामला उस समय चर्चा में आया था जब सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस संबंध में निर्देश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिया था निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन वहां आने वाले सभी श्रद्धालुओं को भगवान की पूजा अर्चना करने दें, चाहे वो किसी भी धर्म से वास्ता रखनेवाले हों। गौरतलब है कि 12वीं सदी में बनाए गए इस मंदिर में फिलहाल सिर्फ हिंदुओं को ही प्रवेश करने की अनुमति है। गुरुवार को कोर्ट ने इस परंपरा में बदलाव के निर्देश दिया था।

विश्व हिंदू परिषद ने भी किया विरोध

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश पर विश्व हिंदू परिषद ने भी शनिवार को एतराज जताते हुए इस मामले में एक पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर करने की बात कही है। उनका कहना है कि न्यायालय को अपने प्रस्ताव पर फिर से विचार करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का प्रस्ताव एक अंतरिम आदेश की तरह: गजपति राजा

इस संबंध में गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने एक रिलीज में कहा कि सनातन धर्म की सदियों से चली आ रही पुरानी परंपरा को तोड़कर श्री मंदिर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश को मंजूरी देना हमें स्वीकार्य नहीं है। वहीं गजपति राजा दिब्यसिंह देव का कहना है कि जब वार्षिक रथयात्रा निकाली जाती है तो उस दौरान भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा को मंदिर से बाहर इसलिए ही ले जाया जाता है ताकि अलग-अलग धर्मों के भक्तों उनका आशीर्वाद ले सकें। यही नहीं ‘स्नान उत्सव’ के दौरान भी लाखों लोग उनके दर्शन कर लेते हैं। गजपति राजा ने सुप्रीम कोर्ट के प्रस्ताव को एक अंतरिम आदेश की तरह बताया। उन्होंने आगे कहा कि इस मुद्दे पर रथयात्रा के बाद चर्चा की जाएगी और मंदिर प्रबंध समिति के सुझाव जानकर ही श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन कोई कदम उठाएगा।

ये है कोर्ट का निर्देश

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट गुरूवार ने जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन को निर्देश दिया था कि वह सभी हर धर्म-आस्था को मानने वाले को मंदिर में पूजा करने की इजाजत दें। हालांकि, कोर्ट ने ये भी साफ किया था कि जो गैरहिंदू मंदिर में दर्शन के लिए आएंगे उन्हें ड्रेस कोड का पालन करना होगा और साथ ही एक उचित घोषणा-पत्र भी देना होगा।

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