जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना बनेंगे SC के जज, कॉलेजियम ने की सिफारिश
क्या है पूरा मामला
आपको बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले को चुनौती दी गई थी। इसमें सरकार ने एक शख्स को प्रतिवादी बनाया। बताया गया है कि शख्स का पिता रेलवे में नौकरी करता था और वह अपने पिता के दूसरी पत्नी का बेटा है। लेकिन कुछ समय बाद उसके पिता की मौत हो गई। उसने रेलवे से हमदर्दी के आधार पर नौकरी मांगी। पर रेलवे ने उसकी याचिका खारिज कर दी। शख्स ने इस मामले को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेशन ट्रिब्यूनल में रखा जिसपर सुनवाई हुई और शख्स के पक्ष में आदेश दिया गया। इसके बाद यह मामला मॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई की और कहा कि हिन्दू मैरिज एक्ट की धारा- 16 के मुताबिक पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करना अमान्य है। लेकिन दूसरी पत्नी से जो बच्चा पैदा हुआ वह वैध है। इसलिए रेलवे को चाहिए कि वह अपने फैसले पर विचार करें और शख्स को हमदर्दी के आधार पर नौकरी देने से इनकार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि धारा 16 (1) इस तरह के बच्चों को ही सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी कोई भी शर्त या नियम-कानून संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता है।
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