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SC का ऐतिहासिक फैसला, दूसरी पत्नी गैरकानूनी पर उससे पैदा हुआ बच्चा कानूनन वैध

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दूसरी शादी से पैदा होने वाला बच्चा वैध है।

नई दिल्लीJan 13, 2019 / 06:35 pm

Anil Kumar

SC का ऐतिहासिक फैसला, दूसरी पत्नी गैरकानूनी पर उससे पैदा हुआ बच्चा कानूनन वैध

SC का ऐतिहासिक फैसला, दूसरी पत्नी से पैदा हुआ बच्चा वैध

नई दिल्ली। भारतीय कानून में पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करना अमान्य है। लेकिन देश की सर्वोच्च अदालत ने एक मामले की सुनवाई करते हुए ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। दरअसल कोर्ट ने कहा कि दूसरी शादी से जो बच्चा पैदा हुआ है वह वैध है। उसे किसी हमदर्दी या फिर अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने से मना नहीं किया जा सकता है। बता दें कि मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवीई चंद्रचूड और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने कहा कि कानून भले ही दूसरी शादी को मान्यता नहीं देता लेकिन फिर भी हमारे समाज में ऐसी शादियां होती है। ऐसे में दूसरी शादी से जो बच्चा होता है उसे कानून वैध मानता है। इसलिए ऐसे बच्चों के हमदर्दी के आधार पर नौकरी से वंचित नहीं किया जा सकता है। गौरतलब है कि हिन्दू मैरिज एक्ट के अनुसार पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करना अवैध है।

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क्या है पूरा मामला

आपको बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले को चुनौती दी गई थी। इसमें सरकार ने एक शख्स को प्रतिवादी बनाया। बताया गया है कि शख्स का पिता रेलवे में नौकरी करता था और वह अपने पिता के दूसरी पत्नी का बेटा है। लेकिन कुछ समय बाद उसके पिता की मौत हो गई। उसने रेलवे से हमदर्दी के आधार पर नौकरी मांगी। पर रेलवे ने उसकी याचिका खारिज कर दी। शख्स ने इस मामले को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेशन ट्रिब्यूनल में रखा जिसपर सुनवाई हुई और शख्स के पक्ष में आदेश दिया गया। इसके बाद यह मामला मॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई की और कहा कि हिन्दू मैरिज एक्ट की धारा- 16 के मुताबिक पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करना अमान्य है। लेकिन दूसरी पत्नी से जो बच्चा पैदा हुआ वह वैध है। इसलिए रेलवे को चाहिए कि वह अपने फैसले पर विचार करें और शख्स को हमदर्दी के आधार पर नौकरी देने से इनकार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि धारा 16 (1) इस तरह के बच्चों को ही सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी कोई भी शर्त या नियम-कानून संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता है।

 

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