भूषण के इस आरोप पर अटार्नी जनरल ने स्वीकार किया कि कोई सरकारी गारंटी नहीं दी गई है लेकिन कहा कि फ्रांस ने सहूलियत पत्र दिया है जो सरकारी गारंटी की तरह ही है। वेणुगोपाल ने कहा कि न्यायालय यह फैसला करने के लिए सक्षम नहीं है कि कौन सा विमान और कौन से हथियार खरीदे जाएं क्योंकि यह विशेषज्ञों का काम है। अदालत ने विमान की कीमत के मसले को लेकर याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए विवाद का महान्यायवादी केके वेणुगोपाल को तब तक जवाब नहीं देने को कहा जब तक अदालत इसकी जांच करने का फैसला नहीं करती है।
इस मसले पर सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि कीमत पर चर्चा तभी होगी जब हम फैसला करेंगे। महान्यायवादी ने राफेल सौदे की न्यायिक समीक्षा का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि अगर हथियार और विमान की कीमतें सार्वजनिक की जाएंगी तो दुश्मनों को राफेल विमान में लगे हथियारों का पता चल जाएगा। विमानों की कीमत को सार्वजनिक नहीं किए जाने का बचाव करते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि 2016 की विनिमय दर के अनुसार एक राफेल जेट की लागत 670 करोड़ रुपए थी और पूरी तरह से सुसज्जित विमान की कीमत का खुलासा होने से विरोधियों को लाभ हो सकता है। याचिकाकर्ताओं की इस दलील पर कि संसद को दो बार मूल्य की जानकारी दी गयी है, वेणुगोपाल ने कहा कि हम कहते रहे हैं कि संसद को भी जेट की पूरी लागत के बारे में नहीं बताया गया है।