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पूर्व जज के खिलाफ चल रहे रिश्वत मामले की रिपोर्टिंग नहीं कर सकेगा मीडिया: अदालत

कोर्ट ने कहा कि स्वतंत्र अभिव्यक्ति की गारंटी अन्य व्यक्तियों को बदनाम करने और झूठे आरोपों द्वारा उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की छूट नहीं देती।

नई दिल्लीApr 22, 2018 / 12:38 pm

Siddharth Priyadarshi

no media reporting
नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने एक पूर्व जज के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामले को कवर करने से मीडिया को रोकने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा कि स्वतंत्र अभिव्यक्ति की संवैधानिक गारंटी व्यक्तियों को बदनाम करने और झूठे आरोपों द्वारा उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के छूट नहीं देती।
दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व जज के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर रिपोर्ट करने से मीडिया को रोक दिया। मेडिकल कॉलेज रिश्वत मामले में आरोपी न्यायाधीश आईएम कुद्दुसी को पिछले साल सितंबर में प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। फिलहाल वह जमानत पर हैं। कुद्दुसी और पांच अन्य लोगों पर यूपी स्थित एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज, प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के मामले में अपने पद का दुरूपयोग करते हुए इस संबंध में अदालत की कार्यवाही को प्रभावित करने आरोप लगाया गया है।
अदालत ने मीडिया को एफआईआर से संबंधित अदालत की कार्यवाही पर रिपोर्ट करने की अनुमति दी है।

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क्या कहा कोर्ट ने

अपने फैसले में न्यायालय ने कहा कि ‘इस अस्थायी आदेश आदेश के माध्यम से सभी प्रकार की मीडिया संस्थान इस संबंध में किसी भी लेख या लेखन को पुनः प्रकाशित करने या किसी भी कार्यक्रम या बहस का प्रसारण करने से प्रतिबंधित किया जाता है।’ अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ट्विंकल वाधवा ने कोर्ट में कहा कि आरसी 10 (ए) / एसीआईआईआई / 2017 / पीएस सीबीआई के अधीन नई दिल्ली में पंजीकृत इस मामले में जब तक पुलिस अपनी जांच पूरी नहीं कर लेती है और अदालत के समक्ष रिपोर्ट फाइल नहीं कर देती तब तक यह प्रतिबंध जारी रहेगा। इसके अलावा कोर्ट ने इस मामले में की गई सभी पुरानी रिपोर्टिंगस को वापस लेने के लिए निर्देशित किया। अदालत ने कहा कि एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के रूप में अभियुक्त की प्रतिष्ठा पर इसका विनाशकारी प्रभाव होगा और इससे न्यायपालिका की गरिमा भी घटेगी।
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क्या था मामला

कुद्दुसी के वकील विजय अग्रवाल ने एक आवेदन कर कोर्ट से कहा था कि मीडिया को एफआईआर से जुड़ी किसी भी कार्यवाही को प्रकाशित करने से रोक दिया जाए। आवेदन में कहा गया था कि विभिन्न मीडिया संस्थानों ने मामले में कुद्दुसी और अन्य आरोपी के बीच कथित बातचीत को प्रकाशित और प्रसारित किया था। उन्होंने अपने आवेदन में पूछा था कि जब मीडिया को इस तरह के कोई गोपनीय दस्तावेज किसी विश्वसनीय स्रोत से मिले ही नहीं तो किस आधार पर इस तरह के ब्यौरे को सार्वजनिक किया गया।

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