SC का ऐतिहासिक निर्णय, कहा-HC को अपने ही आदेश वापस लेने का है अधिकार
जस्टिस सेन ने क्या कहा था?
आपको बता दें कि बीते दिनों अपने एक आदेश में जस्टिस सेन ने कहा था कि किसी को भी भारत को एक और इस्लामिक देश बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा था कि भारत को 1947 में हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए था और उसे ऐसा होना चाहिए। उनका विश्वास है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को इस्लामिक देश बनने से बचाएंगे। उन्होंने आगे कहा था कि सरकार को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिमों और आदिवासियों को भारत में बिना किसी कट ऑफ इयर के रहने की अनुमति देनी चाहिए। अब शुक्रवार के जस्टिस सेन के बयान पर माकपा ने कहा कि जस्टिस सेन ने आरएसएस की हिंदू राष्ट्र की विचारधारा की तरह अपनी राजनैतिक सोच को अभिव्यक्त किया है।
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HC का न्यायाधीश बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं सेन: माकपा
माकपा ने कहा कि अपनी नग्न सांप्रदायिक सोच को (भारत के) बंटवारे पर लागू कर और नागरिकता कानून के प्रस्तावित संशोधन पर प्रत्यक्ष राजनैतिक बयान देकर उन्होंने संसद की भूमिका और न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आघात किया है। उसका मानना है कि जस्टिस सेन उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुके हैं। पार्टी संसद में अन्य दलों से संपर्क कर न्यायमूर्ति सेन को हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। इस बीच हम देश के प्रधान न्यायाधीश से अपील करते हैं कि वह न्यायमूर्ति सेन को न्यायिक कामों से दूर रखें।
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