हालांकि, 4 मई से सीमित संख्या में रेल सेवा शुरू करने योजना की पुष्टि केंद्र सरकार ने नहीं की है। इसके बावजूद यह माना जा रहा है कि केंद्र दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को राहत देने के लिए यह सेवा शुरू कर सकती है।
सूत्रों की मानें तो रेल मंत्रालय ने स्पेशल ट्रेनें चलाने को लेकर अपनी तैयारी पूरी कर ली है। इस योजना के तहत हर रोज 400 स्पेशल ट्रेनें चलाई जा सकती हैं। इन्हें जरूरत के मुताबिक प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 1000 तक बढ़ाया भी जा सकता है।
इस योजना के मुताबिक हर नॉन-एसी ट्रेन के सफर में 1,000 यात्रियों को ले जाएगी, जो कि ट्रेन की कुल क्षमता का आधा होगा। ऐसा इसलिए किया जाएगा, ताकि सोशल डिस्टेंसिंग ( Social Distancing ) के नियमों का ठीक ढंग से पाल हो सके। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि ट्रेन के रूट में जो भी राज्य और स्टेशन आएंगे, वहां लोगों के मूवमेंट्स और स्क्रीनिंग की ठीक व्यवस्था मुहैया होनी चाहिए। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा।
बता दें कि अब तक राजस्थान, झारखंड, केरल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार से प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए ट्रेन चलाने की मांग उठा चुके हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि भारत सरकार को रेलवे को चलाना चाहिए, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही बिना ट्रेनों के मुमकिन नहीं होगी।
वहीं झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने रेल मंत्री पीयूष गोयल से कहा था कि उन्हें छात्रों और प्रवासी मजदूरों ( Migrant Labours ) को लाने के लिए विशेष ट्रेनों की जरूरत होगी। महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे और केरल के सीएम पिनरई विजयन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी से ऐसी मांगें रख चुके हैं।