पोलियो की खुराक से घबराने की जरूरत नहीं : स्वास्थ्य विभाग
नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अब तक का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू होने जा रहा है। पांच सप्ताह तक चलने वाला यह अभियान 16 जनवरी से शुरू होगा। इसके तहत नौ माह से 15 साल तक उम्र के करीब 55 लाख बच्चों को खसरा-रूबेला (एमआर) का टीका लगाया जाएगा।
इस अभियान के तहत दिल्ली के 11 जिलों में मौजूद सभी प्री-स्कूल बच्चों, स्कूली छात्रों (सरकारी और निजी) और स्कूल के बाहर के बच्चों का भी टीकाकरण किया जाएगा। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों द्वारा अधिकारियों व प्राचार्यों, शिक्षकों और छात्रों के लिए ओरिएंटेशन कार्यक्रम भी शामिल रहेगा।
इस संबंध में हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने बताया, “खसरा गंभीर व अत्यधिक संक्रामक रोग है। यह कई तरह की जटिलताओं को जन्म देता है। इनमें से कुछ में एन्सेफलाइटिस (एक संक्रमण जो मस्तिष्क की सूजन की वजह बनता है), दस्त और डिहाइड्रेशन, निमोनिया, कान में संक्रमण और स्थायी रूप से दृष्टि हानि शामिल हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “कुपोषण और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले शिशुओं और छोटे बच्चों को विशेष रूप से जटिलताओं और मृत्यु का खतरा होता है। खसरा और रूबेला एक हल्का वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से बच्चों में होता है। एक महिला जो गर्भावस्था के शुरुआती चरण में रूबेला वायरस से संक्रमित होती है, उसे भ्रूण में स्थानांतरित करने की 90 प्रतिशत संभावना होती है। कुछ मुद्दे जो वायरस पैदा कर सकते हैं, उनमें नवजात शिशुओं में श्रवण दोष, आंख और हृदय दोष और मस्तिष्क क्षति शामिल है। इससे सहज गर्भपात और भ्रूण की मृत्यु भी हो सकती है।”
डॉ. अग्रवाल ने चिंता जताते हुए कहा, “अभी भी अनिच्छा, विरोध और अन्य चुनौतियों के अलावा टीकाकरण की गति धीमी है। आजीवन वैक्सीन पहुंचाने में आने वाली चुनौतियों को मौजूदा ज्ञान से संबोधित करने की जरूरत है और पिछले अनुभवों से सबक सीखना चाहिए।”
अभियान के तहत होंगे यह टीकाकरणः इसके अलावा, जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई वैक्सीन) टीका को अभियान मोड में 112 स्थानिक जिलों में 2006-10 से चरणबद्ध तरीके से पेश किया गया था और अब इसे रूटीन इम्युनाइजेशन प्रोग्राम के तहत शामिल किया गया है।
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