तब गोरों से भिड़ गए थे गांधी, परदेस में इस वाक्ये से हुई थी अन्याय के खिलाफ जंग की शुरुआत
आगामी 2 अक्टूबर को देश के राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की 150वीं जयंती है। मोहनदास करमचंद गांधी आखिर कैसे महात्मा गांधी बन गए, यह किस्सा जानना बेहद जरूरी है।
तब गोरों से भिड़ गए थे गांधी, परदेस में इस वाक्ये से हुई थी अन्याय के खिलाफ जंग की शुरुआत
नई दिल्ली। औसत उम्र के लिहाज से दुनिया के सबसे युवा देशों में शुमार भारत के लिए महात्मा गांधी का दर्शन आज भी सार्थक है। आगामी 2 अक्टूबर को देश के राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की 150वीं जयंती है। ऐसे में बापू के आदर्शों को याद करके और उन्हें जीवन में उतारकर भारत को फिर से विश्वगुरु बनाया जा सकता है। इससे पहले मोहनदास करमचंद गांधी आखिर कैसे महात्मा गांधी बन गए, यह किस्सा जानना बेहद जरूरी है।
अन्याय के खिलाफ उठाई आवाज इस बदलाव का एक अच्छा उदाहरण खुद गांधी ने ही पेश किया था। 7 जून 1893 को जब गांधी महज 24 साल के थे, तब उनके साथ दक्षिण अफ्रीका के नटाल प्रांत में एक ऐसी घटना हुई थी जिसने युवाओं को अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने की प्रेरणा दी। दरअसल उस दिन वह ट्रेन की प्रथम श्रेणी में यात्रा कर रहे थे। उनके पास वैध टिकट भी था लेकिन उनका रंग गोरा नहीं होने के कारण एक अंग्रेज ने उनसे कंपार्टमेंट से बाहर निकल जाने को कहा गया।
विदेश में होने के बावजूद युवा मोहनदास ने अंग्रेजों को बड़ी दृढ़ता से जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘मेरे पास प्रथम श्रेणी का टिकट है मैं बाहर नहीं जाऊंगा। आप चाहें तो उठाकर बाहर फेंक सकते हैं। वास्तव में अन्याय के खिलाफ खड़े होने की यही हिम्मत तो सविनय अवज्ञा थी।’
जन्मदिन विशेषः राजनेता से पहले एक कवि, गीतकार, लेखक और पत्रकार भी रहे हैं नरेंद्र मोदीसामाजिक परिवर्तन के लिए युवा सबसे अहम गांधीजी कहते थे शांति की प्राप्ति प्रत्येक युवा का भावनात्मक एवं क्रियात्मक लक्ष्य होना चाहिए तभी उसकी ऊर्जा, गतिशीलता और उत्साह देश के हित में समर्पित होंगे। वे सामाजिक परिवर्तन के लिए युवाओं को सबसे महत्वपूर्ण मानते थे। गांधी जी का मानना था कि युवाओं का उत्साह और जोश समाज में बदलाव लाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। वे मानते थे कि वे दूसरों को जागरूक करने में भी मददगार हो सकते हैं और खुद भी बदलाव का प्रतीक बन सकते हैं।
ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए बापू के पास था बेहतरीन फॉर्मूला, अब मिलेगा आपको इसका फायदासमाज की बुराइयां मिटाने में अहम है ‘गांधी दर्शन’ आज भी देश में कई तरह की कुरीतियां हैं। जातिगत मुद्दों को लेकर आरक्षण और अपमान के नाम पर रोजाना देश में प्रदर्शन हो रहे हैं। बाल विवाह आज भी देश के एक बड़े हिस्से में अहम समस्या है। महिलाओं और बच्चियों के साथ दुर्व्यवहार के मामले रोज सामने आ रहे हैं। ऐसे हालात में युवाओं के लिए जरूरी है कि गांधी के जीवन और उनकी बातों को याद करें ताकि देश को इस दलदल से निकाला जा सके। महात्मा गांधी का मानना था कि सती प्रथा, बाल विवाह, छुआछूत, जाति व्यवस्था आदि से छुटकारे के लिए युवाओं को आवाज उठानी चाहिए।
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