सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज चेलमेश्वर के बेटे को गिरफ्तार करने की धमकी, शिकायत दर्ज!
26 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
बता दें कि इस मामले को लेकर जब अदालत में सुनवाई शुरु हुई तो विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि जकिया जाफरी की ओर से दी गई याचिका विचार योग्य नहीं है। साथ ही इसमें तीस्ता सीतलवाड़ दूसरी याचिकाकर्ता नहीं हो सकती हैं। इसपर अदालत ने कहा कि सीतलवाड को जाफरी की याचिका में दूसरा वादी बनाने के संबंध में बाद में सुनवाई करेंगे लेकिन उससे पहले जकिया के आवेदन पर विचार किया जाएगा। जिसपर अगले 26 नवंबर को सुनवाई करेंगे।
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क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि वर्ष 2002 में गुजरात के गोधरा में दो समुदायों के बीच दंगा भड़क गया था, जिसमें कांग्रेस नेता एहसान जाफरी को अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसाइटी में 28 फरवरी 2002 को जिन्दा जला दिया गया था। इस दंगे में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी व अन्य पर आरोप लगाया गया था। इसकी जांच के लिए SIT गठित की गई। एसआईटी ने जांच के बाद नरेंद्र मोदी व अन्य को बरी कर दिया। इसके बाद इसे गुजरात हाईकोर्ट में चैलेंज किया गया। हाईकोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 5 अक्टूबर 2017 को फैसला सुनाते हुए एसआईटी के फैसले को बरकरार रखा। एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने इस एसआईटी और गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। जिसपर सुनवाई चल रही है। सोमवार को अदालत ने सुनवाई करते हुए इसे 26 नवंबर तक के लिए टाल दिया है। बता दें कि गुजरात के 2002 दंगों में 69 लोगों को की मौत हो गई थी। इस दंगे के लिए 58 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिसमें निचली अदालत ने सबको सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। जकिया जाफरी ने अपनी याचिका में 58 लोगों को नामजद किया था, लेकिन एसआईटी ने कहा कि इनके खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला।