भरपूर पानी ने दलहन-तिलहन से किया दूर
कृषि विभाग ने इस साल गेहूं के मुकाबले दूसरी फसल को अधिक महत्व देना मुनासिब नहीं समझा। इसकी मुख्य वजह सिंचाई के लिए भूरपर पानी की उपलब्धता है। कृषि विभाग ने इस बात को दृष्टिगत रखते हुए ही दलहन और तिलहन पर दांव खेलने का तनिक भी मानस नहीं बनाया। दलहन में चना और मसूर सर्वाधित होता है। इस साल चना व मसूर का रकबा क्रमश: 46.12 और 16.32 प्रतिशत घटा दिया है। पिछले साल जिले में जहां दलहन 49 हजार 70 हेक्टेयर में बोया गया था वहीं इस बार दलहन का लक्ष्य 38.83 फीसदी घटाकर 30 हजार हेक्टेयर कर दिया गया है। तिलहन को लेकर भी कुछ ऐसी स्थिति है। सरसों का रकबा पिछले साल की तुलना में 74.94 प्रतिशत कम किया है। अलसी का अवश्य 143.90 प्रतिशत बढ़ाकर 4 हजार 100 हेक्टेयर से 10 हजार हेक्टेयर किया है। तिलहन का रबका पिछले साल के मुकाबले 54.55 प्रतिशत घटाया है। पिछले साल जिले में तिलहन की 44 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बोवनी हुई थी। इस साल यह 20 हजार हेक्टेयर रह गया।
जिले में सर्वाधिक रकबा गेहंू का
इस साल बारिश अच्छी हुई है। इस लिहाज से फसलों का रकबा तय किया गया है। गेहूं का सर्वाधिक रकबा है। सरसों बोवनी का समय निकल गया है इसलिए उसका रकबा कम किया है। अतिवृष्टि के चलते रबी फसल का रकबा तय किया गया है।
-डा. एएस राठौड़, उपसंचालक कृषि