अव्यवस्था से किसान परेशान, लेकिन मंडी मौन
मंडी में अव्यवस्थाओं को लेकर आए दिन किसान परेशान होते है। यहां तक की उन्हें कई दिनों तक मंडी में अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। कभी बारिश से तो कभी अन्य कारणों से उपज खराब होती है। लेकिन मंडी में तमाम प्रकार की अव्यवस्थाओं के बाद भी मंडी प्रशासन मौन है और इस और ध्यान नहीं दे रहा है। बाहर लाईन लगना और कई दिनों तक इंतजार करना हर दिन की कहानी हो गई है। गुरुवार को भी हजारों की संख्या में किसान बारी का इंतजार करते रहे। बावजूद इसके लिए मंडी प्रशासन ने न तो किसानों को लेकर कभी संवेदनशीलता दिखाई और न हीं कभी समाधान के लिए कोई पहल की।
किसानों ने कहा बाहर हम खड़े तो अंदर माल कहा से आ रहा
बाहर खड़े किसानों ने हंगामा कर दिया। उनका कहना था कि कई दिनों से वह अपनी बारी का इंतजार कर रहे है। वाहनों का भाड़ा भुगत रहे है और यहां खाने-पीने में भी खर्चा हो रहा है। घरों से भी दूर है और जब हम बाहर लाईनों में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे है तो फिर मंडी प्रांगण में जगह क्यों नहीं हो पा रही है। वहां जो माल आ रहा है वह कहा से आ रहा है। मंडी में किसानों ने सचिव से भी बहस की और उनसे तख्त लहजें में सवाल भी किए। किसानों के हंगामें के बीच मौके पर पुलिस भी पहुंचे और किसानों को शांत कराने की कोशिश की।
लहसुन की आवक ने बिगाड़ी व्यवस्था
इन दिनों लहसुन की बंपर आवक हो रही है। गुरुवार को भी मंडी में १५ हजार कट्टे लहसुन की नीलामी हुई। इसके अलावा करीब २० से २५ हजार कट्टे तो किसान लहसुन लेकर लाईनों में खड़े है। यह स्थिति इन दिनों प्रतिदिन बन रही है। इसी कारण यहां की व्यवस्था बेपटरी हो गई है। लहसुन के अलावा प्याज की आवक भी ३ हजार कट़्टों की रही। जितना माल मंडी प्रांगण के अंदर पड़ा है। उतना ही वाहन कतार में खड़े वाहनों में भी पड़ा है। करीब 500 से अधिक वाहन में हजारों किसान मंडी के बाहर कतार में खड़े है।
्रलहसुन की अधिक आवक से बनी ऐसी स्थिति
इन दिनों लहसुन की बंपर आवक हो रही है। इसी कारण प्रांगण में जगह नहीं है। ऐसे में यह स्थिति बनी है। प्रांगण में जगह होने पर ही बाकी किसानों को अंदर लिया जाता है। किसानों ने अपनी बात रखी है। -ओपी शर्मा, मंडी सचिव