इक्का-दुक्का लोग पहुंचे तो उनका सामना अव्यवस्थाओं से हुआ। जर्जर सड़क, टूटे झूला व खस्ताहाल इमारत व सूखा सरोवर अव्यवस्थाओं की कहानी बयां कर रहा है। गौरतलब है कि चरखारी को बुंदेलखण्ड के कश्मीर की संज्ञा दी गई है। यहां कमल दलों से अच्छादित सरोवर, झरना, नौसर्गिक सुंदरता व रमणीक वातावरण लोगों को अपनी ओर खींच लेता है। मगर उपेक्षा का शिकार यहां के पर्यटन स्थल इन दिनों बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। नगर के प्रमुख पर्यटन स्थल टोला तालाब व नौ मढ़ी अधिकारियों की उदासीनता का सबसे बड़ा उदाहरण है।
नौशिव मंदिरों के कारण इन स्थल को नौमढ़ी कहा जाता है। जबकि टोला तालाब के नाम से पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए इसको विकसित किया गया है। सरोवर में कमल दल के साथ यहां दूर दराज से आने वाले परिंदे रहते हैं। प्राकृतिक सुंदरता के कारण यहां लोगों की भारी भीड़ जुटती थी। मकर संक्राति पर यहां मेला जैसा नजारा रहता था। लोग परिवार के साथ टोला तालाब जाकर यहां की नौसर्गिक सुंदरता का आनंद लेते थे। मगर इस बार मकर संक्राति में पर्यटन स्थल पर्यटकों के इंतजार करता रहा। यहां का सरोवर सूखा की भेंट चढ़ गया है। जल संचलय के लिए खेत तालाब योजना, अपना खेत सहित तालाब खुदाई में करोड़ों फूंकने के बाद भी इस प्राचीन सरोवर की किसी ने सुध नहीं ली। जिससे प्राचीन सरोवर सूख गया है। झरना के बंद होने के कारण परिंदों का भी यहां से मोह भंग हो गया है। जबकि उपेक्षा के चलते यहां की सड़क जर्जर हो गई है। झूले भी टूट गए हैं। वीरान हो रहे इस पर्यटन स्थल से लोगों का मोहभंग हो रहा है।