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लखनऊ

मुलायम के पुत्र मोह ने शिवपाल यादव की बढ़ाई मुश्किल, सपाइयों में जश्न का माहौल

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक मुलायम सिंह यादव के ‘चरखा दांव’ से शिवपाल और उनके समर्थक हैरान हैं, वहीं सपाइयों में जश्न का माहौल है

लखनऊSep 23, 2018 / 07:55 pm

Hariom Dwivedi

Mulayam Singh attends samajwadi party programme

मुलायम के पुत्र मोह ने शिवपाल यादव की बढ़ाई मुश्किल, सपाइयों में जश्न का माहौल

हरिओम द्विवेदी
लखनऊ. एक बार फिर मुलायम सिंह यादव का पुत्र मोह शिवपाल यादव पर भारी पड़ता दिख रहा है। मुलायम के हनुमान कहे जाने वाले शिवपाल यादव अपने भाई के समाजवादी सेक्युलर मोर्चे संग होने का दावा करते ही रहे, दूसरी ओर मुलायम अपने बेटे अखिलेश यादव को 2019 का लोकसभा चुनाव फतेह करने का आशीर्वाद देने पहुंच गये। हाल ही में शिवपाल यादव ने दावा करते हुए कहा था कि उनके समाजवादी सेक्युलर मोर्चे को मुलायम का आशीर्वाद मिला है। इतना ही नहीं उन्होंने मुलायम सिंह यादव को मैनपुरी से सेक्युलर मोर्चे का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया था। साथ ही यह भी कहा था कि अगर नेताजी किसी अन्य दल से भी चुनाव लड़ेंगे तो उनका मोर्चा मुलायम का समर्थन करेगा।
सोमवार को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर समाजवादी पार्टी की ‘लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओ’ साइकिल यात्रा का समापन कार्यक्रम था। मंच पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव समेत सपा के कई बड़े नेता मौजूद थे। अचानक मुलायम पहुंचे तो कैमरों के फ्लैश उनकी ओर चमचमा उठे। रामगोपाल और अखिलेश ने भी लपककर पैर छू लिये। मुलायम ने हाथ उठाकर सबका अभिवादन किया और पार्टी उम्मीदवारों को जिताने की अपील की। उन्होंने कहा कि मेरी इच्छा है कि समाजवादी पार्टी कभी बूढ़ी न होने पाये, सदैव आगे बढ़ती रहे।
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मुलायम का फेमस चरखा दांव
मुलायम के ‘चरखा दांव’ से शिवपाल और उनके समर्थक हैरान हैं, वहीं सपाइयों में जश्न का माहौल है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब मुलायम पर उनका पुत्र मोह हावी होते दिखा है। 2012 के विधानसभा चुनाव में मुलायम, अखिलेश और शिवपाल सहित सभी नेताओं-कार्यकर्ताओं ने मेहनत की। चुनाव में पार्टी पूर्ण बहुमत से जीती तो मुलायम ने अखिलेश को सीएम की कुर्सी सौंप दी। शिवपाल ने विरोध भी किया, लेकिन मुलायम के पुत्रमोह के आगे उनकी एक न चली। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में चाचा-भतीजे की तकरार खुलकर सामने आ गई। शिवपाल ने कहा कि जिन्हें बिना मेहनत किये कुर्सी मिल जाती है, वे इसका मूल्य नहीं समझते। विवाद बढ़ा तो अखिलेश ने शिवपाल यादव को न केवल मंत्रिमंडल से निकाला, बल्कि सपा प्रदेश अध्यक्ष का पद भी छीन लिया। मुलायम से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से पदच्युत करते हूए पार्टी के सर्वेसर्वा बन गये।
सेक्युलर मोर्चे की बढ़ी मुसीबत
अखिलेश यादव के पार्टी के मुखिया बनते ही शिवपाल सपा के साइडलाइन होते गये। पंचायत चुनाव में भी उनसे राय तक नहीं ली गई। कई बार अपनी उपेक्षा का आरोप लगाया। मुलायम को अध्यक्ष की कुर्सी देने की मांग की। बार-बार नई पार्टी बनाने का दबाव बनाया, लेकिन मुलायम हर बार अपने भाई को चुप कराते रहे। आखिरकार, शिवपाल यादव ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चे का गठन कर लिया और कहा कि मुलायम का आशीर्वाद उनके साथ है। सोमवार को मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के कार्यक्रम में पहुंचकर समाजवादी सेक्युलर मोर्चे की मुसीबत बढ़ा दी। गौरतलब है कि शिवपाल सिंह यादव इन दिनों मुलायम के साथ होने की बात कहकर मुलायम के करीबी माने जाने वाले नेताओं का आशीर्वाद ले रहे हैं। सोमवार को पुराने समाजवादी नेता भगवती सिंह और उनकी मुलाकात चर्चा का विषय बनी थी।

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