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व्यापम के बाद चुनाव से पहले एमपी में 3 हजार करोड़ के ई-टेंडर घोटाला का खुलासा

एमपी में 3000 करोड़ रुपए का ‘ई-टेंडर घोटाला’ सामने आया है, इसमें ऑनलाइन टेंडर देने की प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई है।

Sep 06, 2018 / 12:02 pm

Saurabh Sharma

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व्यापम के बाद चुनाव से पहले एमपी में 3 हजार करोड़ के ई-टेंडर घोटाला का खुलासा

नर्इ दिल्ली। चुनाव से पहले सीएम शिवरात चौहान के लिए एक आैर मुश्किल खड़ी हो गर्इ है। एमपी में ‘ई-टेंडर घोटाला’ सामने आया है। इसमें ऑनलाइन टेंडर देने की प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई है। इसमें कुछ प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने की बात सामने आ रही है। र्इटी की खबर के अनुसार इस घोटाले का खुलासा मर्इ में हुआ है। जबकि इस घोटाने को अंजाम काफी समय से दिया जा रहा था। अब खास बात ये है कि घोटाले की जांच से जुड़े अधिकारियों को बदल दिया गया है। जिसके बाद से अब जांच में भी शक के घेरे में आ गर्इ है। आपको बता दें कि व्यापम घोटाला पहले से ही शिवराज सरकार के लिए मुसिबत बनी हुर्इ है। अब र्इ-टेंडर घोटाला कुछ महीनों में होने वाले चुनावों में बीजेपी के खिलाफ जा सकता है।

फायदा पहुंचाने की कोशिश
प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश जल निगम ने आंतरिक तौर पर इनक्रिप्टेड डॉक्यूमेंट में पहले बदलाव किया आैर उसके बाद प्राइवेट कंपनियों के हिसाब से बदल डाला। सभी टेंडर मार्च में खोले गए थे। जिसके बाद बोली में पार्टिसिपेट करने वाली बड़ी कंपनी ने इस बात की शिकायत की थी। जल निगम के अधिकारी ने स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन से मदद मांगी थी कि कैसे सुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर में सेंध लगी।

जांच में ये खुलासे
जानकारी के अनुसार एमपीएसर्इडीसी के एमडी मनीष रस्तोगी को इस पूरे मामले की जांच सौंपी गर्इ थी। रस्तोगी की जांच के अनुसार राजगढ़ और सतना जिले में ग्रामीण पानी की सप्लाई स्कीम के 3 कॉन्ट्रैक्ट में फेरबदल कर हैदराबाद की 2 कंपनियों और मुंबई की 1 कपनी को सबसे कम बोली लगाने वाला बनाया गया। जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि कुछ कंपनियों को पहले ही इस बात की जानकारी दे दी गर्इ थी कि सबसे कम बोली कितने की है। 3 प्रोजेक्ट के लिए कॉन्ट्रैक्ट की रकम 2,322 करोड़ रुपए थी। वहीं लोक निर्माण विभाग के 6, जल संसाधन विभाग, एमपी रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन की ई-बोली में भी गड़बड़ी पार्इ गर्इ है। रस्तोगी ने दो कंपनियों को नोटिस भी जारी किया । जांच पूरी होने के बाद विभाग ने 6 आैर टेंडर्स को रद करने की सिफारिश की। वहीं दूसरी आेर रस्तोगी ने इस पूरे मामले में कोर्इ प्रतिक्रिया देने से साफ इंकार किया है।

अब आया है नया मोड़
अब इस पूरे प्रकरण में नया मोड़ आ गया है। एमपी के चीफ सेकेटरी ने अब सभी टेंडर्स की जांच इकोनॉमिक अाॅफेंस विंग को सौंप दी है। विंग के अधिकारी की मानें तो पूरा मामला करीब 3 हजार करोड़ रुपए का है। जानकारी के अनुसार एमपीएसर्इडीसी की टेंडरिंग से जुड़ा 9 टीबी का ब्योरा कब्जे में ले लिया गया है।

 

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