56 इंच का सीना रखते हो तो आज ही उड़ा दो पाकिस्तान, तुम न कर सको तो हमें बता दो…पढि़ए शहीद के भाई का दर्द
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए कोटा के सपूत हेमराज मीणा का पैतृक गांव मूलभूत सुविधाओं से महरूम है। कितनी ही सरकारें आई और चली गई लेकिन गांव की दशा में किसी ने भी सुधार नहीं किया। यह दुर्भाग्य ही है, जिस गांव ने देश को जांबाज सपूत दिया, उसी के घर पहुंचने के लिए सड़क तक नहीं है। पूरा रास्ता कच्चा है और दो दिन पहले हुई बारिश के कारण पूरे रास्ते में कई-कई फीट कीचड़ जमा हो गई।
अंतिम संस्कार की तैयारी
विनोदखुर्द गांव से 4 किमी दूर खेत में शहीद का पैतृक घर है। यहां उनके माता-पिता व भाई रहते हैं। यहीं शहीद हेमराज मीणा का अंतिम संस्कार किया जाएगा। गुरुवार रात जैसे ही आतंकी हमले में हेमराज के शहीद होने की सूचना मिली तो जनप्रतिनिधियों व गांववासियों के गांव पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया, लेकिन पूरे रास्ते में कीचड़ भरे होने के कारण लोगों को शहीद के घर तक पहुंचने में खासी दिक्कत आई।
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नाराजगी के बाद जागे अफसर
अव्यवस्थाओं के चलते जब लोगों ने नाराजगी जाहिर की तब कहीं जाकर अफसर जागे। लोगों के आक्रोश को भांप प्रशासन शुक्रवार तड़के ही सड़क बनाने में जुट गया। आनन-फानन में तड़के ही दर्जन भर ट्रैक्टर ट्रॉलियां व निर्माण सामग्री और 40 से अधिक मजदूर युद्ध स्तर पर सड़क बनाने के लिए गांव भेजे गए। कहीं ठेकेदार व मजदूर काम में हीलावली न कर दें इस आशंका के चलते खुद एसडीएम कमल कुमार मीणा सड़क निर्माण कार्य कराने शहीद के गांव पहुंच गए। जिसके बाद रास्ते की कीचड़ हटा ग्रेवल बिछाने का काम शुरू हुआ। दोपहर तक प्रशासन रास्ता ठीक करने में जुटा हुआ था।