धर्म गुरुओं ने दी प्रत्याशियों को दी सीख किसी भी चुनाव या चयन की बात हो, सबसे अहम बात यह है कि इंसान के मन में डर हो। ये डर दो तरह के हैं, एक ऊपर वाले का डर, दूसरा कानून का डर। जिसके जेहन में दोनों डर होते हैं, वो सभी के हितों की बात करने वाले होते हैं। दूसरों के प्रति हमदर्दी का भाव रखें। ऊपर वाले के बनाए असूलों पर चलें, इंसानियत के धर्म को जो समझ सके, ऐसा प्रतिनिधि होना चाहिए। स्वहित के स्थान पर महत्वपूर्ण यह है जो देश, समाज, आमजन के हितों को सर्वोपरि रख सके। आज के दौर में वोट मांगने का चलन है। उम्मीदवार में इतनी काबीलियत हो कि वोट मांगने की जरूरत नहीं पड़े, लोग खुद वोट दें। मनमानी नहीं करें। सभी को साथ लेकर, सभी से सलाह लेकर निर्णय लें।
– अनवार अहमद, शहरकाजी
चाणक्य नीति व मनुस्मृति कहती है कि हमारा प्रतिनिधि सहज, सरल और सुलभ हो। न्यायप्रियता का भाव उनमें समाहित हो। कर्म को पूजा मानकर जनता के प्रति कर्तव्यों का पालन करे। आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, धर्म सम्प्रदाय, समुदाय के नाम पर भेदभाव न करे। कोई भी व्यक्ति अपनी पीड़ा को उनके सम्मुख रख सके। दीन दु:खियों के दर्द को समझे और समस्याओं का समाधान करे। कर्म के लिए पूजा भी छोडऩी पड़े तो छोड़ दें, ईमानदारी महत्वपूर्ण है।
– साध्वी हेमानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर
इंसान का सबसे बड़ा धर्म मानवता है। हर इंसान को अपने किए का फल भुगतना है। अच्छे कर्म करने वाले को अच्छा और जो गलत कार्य करते हैं, उन्हें गलती का दण्ड मिलता है। बाइबिल के एकोर्डिंग बात करें तो किसी का चुनाव करने वाला परमेश्वर है। जो भी प्रतिनिधि हो वह यह समझे कि उसे क्या करना है, वह अपने कर्तव्य को किस तरह से निभाता है। आमजन के नजरिए से देखें तो सबको साथ लेकर चलें, सबके भले के कार्य करें। भेदभाव, द्वैषता का भाव नहीं हो। ऐसे प्रतिनिधि ही जनता में अपना स्थान बनाते हैं।
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गुरुग्रन्थ साहिब में कहा गया है तखत राखो सौ भए जो तखते लायक होए। इसे यूं समझ लें कि राजगद्दी के लायक हो, उसे ही राजा बनाना चाहिए। आज के दौर की बात करें लोक हित में कार्य करने वाले प्रतिनिधि का चयन होना चाहिए। जिसे जनता चुने व जनता की कसौटी पर खरा उतर सके। आमजन की समस्याओं को दूर करे और सुविधाओं का ध्यान रखे। ऐसा प्रतिनिधि हो, जो यह सोचकर चले कि उससे जनता को यह उम्मीद है। जनता को किस चीज की आवश्यकता है। कुल मिलाकर धर्म व ईमान की राह पर चलकर सेवा का भाव रखने वाला प्रतिनिधि होना चाहिए।
– ज्ञानी गुरनाम सिंह, अम्बालवी