भले ही आंकड़ों में सड़क पर पैदल चलने वालों व फुटपाथ पर अतिक्रमण का जिक्र नहीं हो, लेकिन ज्यादातर हादसे फुटपाथ व सड़क किनारे किए गए अतिक्रमण के कारण हुए हैं। पत्रिका टीम ने शहर का दौरा कर फुटपाथों, स्लीप लेन का जायजा लिया तो यहां हो रहे अतिक्रमण खुद हादसों की कहानी बयां कर रहे हैं। कुछ जगहों पर तो पैदल चलने के लिए फुटपाथ पर एक इंच जगह तक नहीं बची। कुछ जगह तो अतिक्रमियों ने पक्के अतिक्रमण कर लिए। इन रास्तों पर नगर निगम व नगर विकास न्यास, पुलिस प्रशासन के अधिकारी आंखें मूंदकर निकल जाते हैं।
पुलिस आंकड़ों को देखें तो शहर में पिछले तीन सालों में सड़क दुर्घटनाओं में 29 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। शहर के अन्दर दुर्घटनाओं में 65 लोग घायल हो गए। पिछले तीन साल में शहर में 56 एक्सीडेंट हुए हंै। पुलिस पैदल चलने वालों की दुर्घटना में मौतों का आंकड़ा अलग से नहीं रखती।
यातायात पुलिस शहर की ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए लगातार कार्य कर रही है। इसके सकारात्मक परिणाम भी आ रहे हैं। सड़कों पर वाहनों का दबाव बढऩे के बावजूद हादसों, घायलों व मृतकों की संख्या में कमी आई है। फुटपाथ पर अतिक्रमण के कारण कई लोग अचानक सड़क पर उतर आते हैं।
– शांति धारीवाल, नगरीय विकास मंत्री