संगठन के कार्यवाहक अध्यक्ष मौलाना कमरुद्दीन, महासचिव मौलाना अलालुद्दीन अशरफी समेत अन्य लोग मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि संसद में पारित होने वाला तीन तलाक बिल मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप है, यह मुस्लिम समाज को मंजूर नहीं है। बैठक में शामिल उलेमाओं ने बिल के विरोध में प्रस्ताव पारित कर सरकार को अपनी भावनाओं से अवगत करवाया। उलेमाओं ने प्रस्ताव के माध्यम से कहा है कि देश के संविधान में धार्मिक आजादी दी गई है। इसमें हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है। मुस्लिम पर्सनल लॉ इस्लामिक कानून कुरआन हदीस के मुताबिक बनाया गया है। इसमें मुस्लिम महिलाओं के सम्मान व अधिकारों की पूरी रक्षा की है।
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