चर्चा के बाद तय करेंगे अगला कदम
अपनी नौकरी खोने वाले लोगों ने अपना भविष्य तय करने के लिए मंगलवार को धर्मतला में शहीद मीनार के पास बैठक की। अदालत के निर्देश पर बेरोजगार हुए लोगों ने कहा कि उच्च न्यायालय कुछ हजार अयोग्य लोगों की खातिर हजारों शिक्षित लोगों की नौकरियां छीन नहीं सकता है और उन्हें उनके परिवारों के साथ रास्ते पर भटकने के लिए नहीं छोड़ सकता है। उनका कहना है कि वे एक गहरी साजिश के शिकार हुए हैं। उनका कहना है कि वे न्याय पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। इसलिए वे सभी अपनी ओएमआर शीट लेकर यहां आए हैं। आपस में चर्चा के बाद ही वे अगला कदम तय करेंगे।
हमारे घर में भी तो बूढ़े माता-पिता
नौकरी गंवाने वाले एक पीडि़त ने कहा कि न्यायालय ने मानवीय आधार पर सोमा दास नामक कैंसर रोगी की नौकरी बरकरार रखी है। लेकिन हमारे घर में भी तो बूढ़े माता-पिता हैं। उनमें से कई गंभीर रूप से बीमार हैं। हमारे भी बच्चे हैं। उनके लिए कोई हमदर्दी नहीं है क्या। एक झटके में नौकरी चले जाने पर अब उनका और उनके परिवार का क्या होगा। उनके बच्चों का भविष्य क्या होगा? उसका कहना है कि हममें से हजारों ऐसे हैं जिन्होंने पैसे देकर पिछले दरवाजे से नौकरी नहीं ली हैं। उन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर नौकरी पाई थी। प्रदर्शनकारियों ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश और तमलुक लोकसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार अभिजीत गंगोपाध्याय का मुद्दा भी उठाया। उनके शब्दों में जो कुर्सी पर बैठा था वह आज भाजपा के मंच पर है! हम सब समझते हैं। लेकिन हम एक गहरी साजिश का शिकार हो गए हैं। हमारे साथ न्याय होना चाहिए।
एक ने अपनी मूर्खता को कोसा
महानगर में मंगलवार अपराह्न प्रचंड धूप थी। मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक धर्मतला इलाके में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास था। गर्म हवा भी बह रही थी। इन परिस्थितियों का नजरअंदाज कर धर्मतल्ला के पास शहीद मीनार में नौकरी गंवाने वाले सैकड़ों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस भीड़ में कल्याणी के एक शिक्षक भी शामिल हैं। वे भीड़ में अपनी मूर्खता को कोस रहे थे। उसने मीडिया के सामने दावा किया कि 2011 में एसएससी परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसे स्कूल शिक्षक की नौकरी मिल गई। लेकिन घर से कार्यस्थल की दूरी करीब 150 किमी थी। कोशिश करने के बाद भी ट्रांसफर नहीं होने पर उन्होंने 2016 में दोबारा एसएससी परीक्षा दी। पास किया और नौकरी मिली। सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति देबांशु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद सब्बीर रशीदी की खंडपीठ ने भर्ती भ्रष्टाचार मामले में 2016 के पैनल को रद्द कर दिया। जिससे उनकी भी नौकरी चली गई। उन्होंने कहा, “अगर मुझे पता होता कि ऐसा होगा तो वे अपनी पिछली नौकरी नहीं छोड़ते। लेकिन कोर्ट इस तरह मेरी नौकरी नहीं छीन सकता। हम सभी न्याय की उम्मीद में सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा।