22 सूत्री मांगों पर गतिरोध- जूट उद्योग में श्रमिकों के वेतन तथा पेंशन वृद्धि सहित अन्य 22 सूत्री मांगों पर पिछले एक साल से गतिरोध दूर होने का नाम नहीं ले रहा है। श्रम मंत्री मलय घटक ने इस मुद्दे पर समाधान सूत्र निकालने के लिए मंगलवार को एक बार फिर सीटू के नेतृत्व में २१ विभिन्न यूनियनों के नेताओं और जूट मिल मालिकों का संगठन (इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन) इजमा के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ बैठक की। पूर्व श्रम मंत्री तथा सीटू के प्रदेश महासचिव अनादि साहू ने बताया कि वेतन वृद्धि पर इजमा ने कोई ठोस सुझाव देने के बजाय जूट मिलों में भारी संख्या में श्रमिकों के अनुपस्थित रहने तथा पुराने दरों पर केंद्र सरकार को बी-ट्वील (जूट के बोरे) की सप्लाई से हो रहे करोड़ों का नुकसान होने की बात कही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कम वेतन मिलने के कारण विभिन्न जूट मिलों से श्रमिक दूसरी मिलों में नगदी पर काम करने को विवश हो रहे हैं। साहू ने कहा कि मिलों में श्रमिकों की अनुपस्थिति के बावजूद उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ा है। इजमा के शीर्ष अधिकारी के अधीन के दो जूट मिलों में श्रमिकों की अनुपस्थिति क्रमश: 48.44 और 42.14 प्रतिशत है। मिल प्रबंधन इसके कारणों को भलीभांति जानता है। इधर, तृणमूल कांग्रेस समर्थित यूनियन की ओर से विधायक अर्जुन सिंह ने पत्रिका को बताया कि 2015 के त्रिपक्षीय समझौते में निर्धारित वेतन के मुकाबले इस बार श्रमिकों का वेतन हर हाल में बढ़ेगा। राज्य सरकार हड़ताल के नाम पर श्रम दिवस का नुकसान बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने रविवार को होने वाली त्रिपक्षीय बैठक में श्रमिकों के हितों में फैसला होने की उम्मीद जताई है। इस दिन की बैठक में विधायक सिंह के अलावा राज्यसभा सांसद दोला सेन, सीटू नेता साहू, एटक के नेता देवाशीष दत्ता, इंटक नेता गणेश सरकार, एनएफआईटीयू नेता लालबाबू सिंह, दिलीप भट्टाचार्य एवं संजय राय विशेष रूप से उपस्थित थे।