इस नियम में कोई बदलाव नहीं होगा। छात्र परिषद विधेयक के नियमों से बाहर जाकर कहीं भी कोई भी काम नहीं होगा। जादवपुर विश्वविद्याल में जो भी छात्र आंदोलन कर रहे हैं उनसे कोई लाभ नहीं होगा। जानबूझ कर कुलपति का घेराव करना व नियमों के खिलाफ काम करना अमानवीय है। छात्र परिषद विधेयक को रद्द क रने की मांग पर जेयू में चल रहे आंदोलन के विरोध में शुक्रवार को राज्य के उच्च शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी ने यह बातें कही।
मालूम हो कि नए छात्र परिषद विधेयक के तहत कई नियमों में बदलाव किया गया। अब छात्रसंघ चुनाव के स्थान पर छात्र परिषद चुनाव होंगे। शिक्षण संस्थानों में छात्रसंघ चुनाव में बढ़ती हिंसा व अराजकता को खत्म करने के लिए राज्य सरकार ने परिषद के गठन का विधेयक लायी है।
शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि छात्र चाहे कितना भी आंदोलन करे लेकिन उनकी यह मांग बेकार है। यह आंदोलन तर्क संगत नहीं है। आंदोलन करेंगे व मांगे पूरी हो जाएंगी, ऐसा इस बार संभव नहीं है। घेराव व आंदोलन से कोई लाभ नहीं होगा।
छात्रों ने कुलपति सुरंजन दास के साथ ही कार्यकारी समिति के सदस्यों का भी घेराव किया है। मालूम हो कि शिक्षण संस्थानों में छात्रसंघ चुनाव व नए छात्र परिषद के गठन संबंधी निर्देश पहुंचने के बाद यह हंगामा शुरू हुआ। छात्रों का कहना है कि राज्य सरकार छात्रों से छात्रसंघ चुनाव का संवैधानिक अधिकार छीनना चाहती है।
छात्र अपने फैसले पर कायम
जादवपुर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों का कहना है कि वे अपने फैसले पर कायम हैं जब तक राज्य सरकार का यह विधेयक व उसकी नयी निर्देशिका र² नही होगी तब तक यह आंदोलन अनवरत चलेगा। छात्रों की मांग है कि पहले की तरह ही छात्रसंघ चुनाव होने चाहिए। छात्रसंघ की सारा बागडोर छात्रों के हाथों में होनी चाहिए। छात्र परिषद के नाम पर हमें कोई भी कुलपति प्रतिनिधि व शिक्षक प्रतिनिधि स्वीकार नहीं है। जैसे पहले चुनाव हुआ करते थे वैसी ही व्यवस्था रहनी चाहिए। छात्रों का अधिकार उनके पास होना चाहिए।
पढ़ाई लिखाई हुई बंद
जेयू में लगातार दो दिन से चल रहे घेराव के कारण पढ़ाई लिखाई बिल्कुल बंद है। गिने चुने छात्र कक्षाओं में जा रहे हैं। शुक्रवार को आन्दोलन के कारण बहुत कम छात्र दिखाई पड़े। मालूम हो कि राज्य सरकार के कई कड़े नियमों के बाद भी शिक्षण संस्थानों में घेराव की घटनाएं घट रही हैं।
हमारे हाथ में कुछ भी नहीं
हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है। यह राज्य सरकार का नियम है। विद्यार्थी अपनी मांग कार्यकारी समिति तक पहुंचा सकते थे। राज्य सरकार ने जो नियम बनाया है उसे सभी को मानना पड़ेगा। इस घेराव व प्रदर्शन से पढ़ाई बाधित हो रही है। सुरंजन दास, कुलपति जादवपुर विश्वविदयालय