‘चिता से अनंत गुना ज्यादा खतरनाक है चिंता’
मुनि कमलेश की महावीर सदन में धर्मसभा— चिंता को अधर्म और पाप का रास्ता बताया
‘चिता से अनंत गुना ज्यादा खतरनाक है चिंता’
कोलकाता. चिता तो मुर्दे को जलाती है, पर चिंता उससे भी अनंत गुना ज्यादा खतरनाक है जो जिंदे मानव को पल-पल जलाती है। चिंता की आग मानव के सभी सद्गुणों को जलाकर स्वाहा कर देती है और इससे ओशो चिंतन के द्वार बंद हो जाते हैं। राष्ट्रसंत कमलमुनि कमलेश ने मंगलवार को महावीर सदन में धर्मसभा को संबोधित करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए। मुनि ने कहा कि चिंता अपने आप में अधर्म और पाप का रास्ता है। चिंता की बीमारी का किसी डॉक्टर के पास कोई इलाज नहीं और न ही कोई इसकी दवा है। चिंता में घुलता हुआ आदमी सूखे पत्ते के समान हो जाता है, उसकी खुशहाली, संपन्नता, आनंद के क्षण सभी खत्म हो जाते हैं। जहां चिंता है वहां धर्म और भगवान का निवास नहीं होता। चिंता से मुक्त होने के लिए मनुष्य व्यसन का सहारा लेने के साथ नई चिंता पाल लेता है। चिंता से किसी समस्या का समाधान और हल नहीं होता। उन्होंने कहा कि चिंता से मुक्त होकर चिंतन की धारा को विकसित करने से ही विकास का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। चिंता के कारण ही मनुष्य मानसिक रोगों का शिकार होता है जिससे ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन, हार्ट अटैक, ब्रेन हेमरेज आदि असाध्य रोगों की चपेट में वह आ जाता है। अध्यात्मिक साधना के माध्यम से ही चिंता मुक्त जीवन जिया जा सकता है। जो भी अच्छा या बुरा प्रसंग जीवन में आता है उसे परमात्मा का प्रसाद मानकर हंसते-हंसते स्वीकार कर लिया जाना चाहिए और यही धार्मिक व्यक्ति का उद्देश््य होना चाहिए। उन्होंने बताया कि अज्ञानता के कारण व्यक्ति पल-पल चिंता को पालता हुआ अमृत जैसे भोजन को भी जहर के रूप में परिवर्तित कर देता है। चिंता का शिकार आदमी निराश होकर आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेता है। ध्यान, साधना चिंता से मुक्त होने के लिए रामबाण औषधि के समान है। कौशल मुनि ने मंगलाचरण किया। इस मौके पर कोटा, सवाईमाधोपुर, पुणे, अहमदाबाद, जयपुर और इंदौर सहित देश के कोने-कोने से आए भक्तों का महावीर सदन में अभिनंदन किया गया।
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