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खरगोन

40 हजार का चंदा इकट्ठा कर महाराष्ट्र से बुलाया हैंडलूम, श्रमिक खुद बना रहे कपड़ा

सेंचुरी यार्न के बाहर प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों श्रमिक व परिवार के सदस्य, छह सौ दिनों से जारी आंदोलन, उद्योग को जिंदा रखने आगे आए

खरगोनJul 21, 2019 / 12:54 pm

हेमंत जाट

Century Yarn Mill located at industrial area

धरना स्थल पर हैंडलूम की मदद से कपड़ा बनाते श्रमिक

खरगोन.
जिले के औद्योगिक क्षेत्र निमरानी सत्राटी स्थित सेंचुरी यार्न मिल में रोजगार दिए जाने की मांग को लेकर श्रमिक आंदोलनरत है। बीते करीब डेढ़ साल से कंपनी में प्रोडक्शन बंद है। इससे श्रमिकों का रोजगार छीन गया है और जिन्हें अब भविष्य की चिंता सताने लगी है। इसी के चलते श्रमिक मिल को चालू रखने सहित रोजगार दिए जाने की मांग कर रहे हैं। मिल प्रबंधन की ओर से सुनवाई नहीं होने पर श्रमिक खुद उद्योग को जिंदा रखने के लिए आगे आए है। श्रमिकों ने आपस में 40 से 45 हजार का चंदा इकट्ठा किया और महाराष्ट्र से हैंडलूम खरीदकर लाए। जिसकी मदद से धरना स्थल पर श्रमिक परिवार कपड़ा बना रहे हैं। श्रमिक जनता संघ सेे जुड़े सुचेंद्र मडिया ने बताया कि अक्टूबर 2017 से कंपनी में प्रोडक्शन बंद है। किसी समय यहां धागा सहित जींस तैयार होते थे। लेकिन जब से मिल बंद हुई है, श्रमिकों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया। इसका प्रभाव यहां के स्थानीय कारोबार और धंधे पर भी पड़ा है। आसपास के तीन तहसीलों के लोग भी प्रभावित हुए हैं। सभी के जीविकोपार्जन के लिए मिल को चालू रखा जाना जरुरी है और इसी लड़ाई के लिए श्रमिक मिल के मुख्य गेट पर धरना देकर बैठे हुए है।
छह सौ दिनों से जारी धरना आंदोलन
मिल प्रबंधन सहित श्रमिकों के बीच मामला न्यायालय तक पहुंच गया है, लेकिन अभी तक इसका हल नहीं हो पाया। वहीं बीते छह सौ दिनों से श्रमिक अपने अधिकारों को लेकर धरना आंदोलन कर रहे हैं। करीब ९०० श्रमिक और उनके परिवार के सदस्य डटे हुए है। श्रमिकों की मांग है कि मिल के गेट खोलकर उन्हें काम दिया जाए।
वीआरएस देकर घर बैठाने की तैयारी
श्रमिकों का कहना है कि कंपनी प्रबंधक द्वारा मांगों को अनसुना किया जा रहा है। हालांकि श्रमिकों को मासिक वेतन मिल रहा है। प्रबंधन की कोशिश है कि श्रमिक वीआरएस देकर घर बैठ जाए। लेकिन श्रमिक इस बात पर अडे है कि उन्हें काम दिया जाए। क्योंकि मिल बंद होने से से आने वाली पीढ़ी का क्या होगा। बच्चों के भविष्य को लेकर श्रमिक परिवार चिंताग्रस्त है।
प्रोड्क्शन बंद होने से किसानों को भी नुकसान
कंपनी में प्रोड्क्शन बंद होने से उसका सीधा नुकसान किसानों को भी होगा। दरअसल, मिल में धागे सहित कपड़े का इस्तेमाल होता है। इसके लिए कॉटन की आपूर्ति कपास से होती थी, जो अब बंद हो चुकी है। इसलिए किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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