मिल प्रबंधन सहित श्रमिकों के बीच मामला न्यायालय तक पहुंच गया है, लेकिन अभी तक इसका हल नहीं हो पाया। वहीं बीते छह सौ दिनों से श्रमिक अपने अधिकारों को लेकर धरना आंदोलन कर रहे हैं। करीब ९०० श्रमिक और उनके परिवार के सदस्य डटे हुए है। श्रमिकों की मांग है कि मिल के गेट खोलकर उन्हें काम दिया जाए।
श्रमिकों का कहना है कि कंपनी प्रबंधक द्वारा मांगों को अनसुना किया जा रहा है। हालांकि श्रमिकों को मासिक वेतन मिल रहा है। प्रबंधन की कोशिश है कि श्रमिक वीआरएस देकर घर बैठ जाए। लेकिन श्रमिक इस बात पर अडे है कि उन्हें काम दिया जाए। क्योंकि मिल बंद होने से से आने वाली पीढ़ी का क्या होगा। बच्चों के भविष्य को लेकर श्रमिक परिवार चिंताग्रस्त है।
कंपनी में प्रोड्क्शन बंद होने से उसका सीधा नुकसान किसानों को भी होगा। दरअसल, मिल में धागे सहित कपड़े का इस्तेमाल होता है। इसके लिए कॉटन की आपूर्ति कपास से होती थी, जो अब बंद हो चुकी है। इसलिए किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।