ऐसे में कोई नहीं करेगा जनभागीदारी में मदद
चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष गुरमीतसिंह उबेजा ने बताया कि दादाजी कॉलेज प्रबंधन समिति के 11 सदस्यों ने 25-25 हजार रुपए जनभागीदारी में दिए है। इन सबकी भूमिका तय होना चाहिए, अन्यथा शासकीय जनभागीदारी योजनाओं में कोई भी आगे से सहायता के लिए आगे नहीं आएगा। हम अपने अधिकार के लिए आवाज उठाएंगे। वहीं, तत्कालीन अध्यक्ष व समिति सचिव राजू चांदमल जैन ने बताया कि हमने सूची और रुपए तत्कालीन कलेक्टर के हाथ में सौंपे थे। अब शासन की जिम्मेदारी है कि वह दानदाताओं को सदस्यता दें। वहीं, चेंबर ऑफ कॉमर्स अध्यक्ष सुनील बंसल ने बताया कि शासन को इस विषय पर संज्ञान लेकर कार्रवाई करना चाहिए।यह तय किए गए संभावित शुल्क
- 1000 रुपए प्रति व्यक्ति मासिक शुल्क
- 2500 रुपए प्रति व्यक्ति त्रैमासिक शुल्क
- 7000 रुपए प्रति व्यक्ति वार्षिक शुल्क
- 10 हजार रुपए फैमिली वार्षिक शुल्क, पति-पत्नी व दो बच्चे दस वर्ष तक
- 1200 रुपए फैमिली मासिक शुल्क
- 3000 रुपए फैमिली त्रैमासिक शुल्क
- 5500 रुपए फैमिली अद्र्धवार्षिक शुल्क
- 300 रुपए तैराकी सिखाने के इंसट्रेक्टर शुल्क (अतिरिक्त)
- 100 रुपए आवेदन फार्म शुल्क
- 100 रुपए अतिथि, आकस्मिक व्यक्ति शुल्क प्रति घंटा
- 1000 रुपए प्रतियोगिता आयोजन के लिए
- 500 रुपए वरिष्ठ नागरिक
- 200 रुपए बच्चे 5 से 12 वर्ष के
- 25 हजार आजीवन सदस्यता
स्विमिंग पुल को शुरू करने की तैयारी है। दानदाताओं की सूची हमारे पास नहीं है, ऐसे में हम कैसे तय करेंगे कि किसने कितनी रकम दी थी। सूची मिलने पर एमआइसी में नियम बनाकर दानदाताओं की भूमिका तय की जाएगी।
नीलेश दुबे, निगम आयुक्त