शिक्षक-शिक्षिकाओं के लिए शिक्षा विभाग ने ड्रेसकोड केवल मौखिक आदेश पर लागू किया है। लिखित आदेश करने पर प्रत्येक शिक्षक-शिक्षिकाओं को ड्रेस या कपड़ा की राशि देना होगा। यदि केवल एक जोड़ी ड्रेस ही खरीदी जाती है तो विभाग को 40 लाख रुपए खर्च आएगा। इसके अलावा ड्रेस पर सिलाई खर्च और धुलाई भत्ता भी देना होगा, जैसा की अन्य विभागों में दिया जाता है।
निरीक्षण के दौरान सवाल
कलक्टर, जिला पंचायत सीईओ, जनपद पंचायत सीईओ, जिला शिक्षा अधिकारी और एसडीएम स्कूलों का निरीक्षण करते हैं। निरीक्षण के दौरान अधिकारी शिक्षक-शिक्षिकाओं से ड्रेसकोड नहीं पहनने पर सवाल करते हैं। वहीं उन पद दबाव बनाया जाता है कि स्कूल ड्रेसकोड में पहुंचे। यदि ड्रेसकोड ऐच्छिक है तो इस तरह से दबाव क्यों।
कुछ शिक्षक और शिक्षिकाएं ड्रेसकोड में ही स्कूल पहुंचते हैं। इसके लिए स्वयं 2000 रुपए खर्च किया गया। शासन ड्रेस या फिर कपड़ा खरीदीते तो सस्ते दर पर मिलता, लेकिन यहां पर एक-एक जोड़ी कर दो बार में खरीदा जाता है। इस पर शिक्षक वर्ग को खुद ही पहनना है तो अच्छा कपड़ा व साड़ी खरीद रहे हैं। इसलिए अतिरक्ति भार पड़ रहा है।
-ड्रेसकोड के लिए कोई लिखित आदेश नहीं निकाला गया है। अपील की गई कि वह ड्रेसकोड में स्कूल पहुंचे ताकि बच्चे भी उसका अनुशरण करें। बच्चे शिक्षकों से ही तो सीखते हैं।
सीएस धु्रव, डीईओ, शिक्षा विभाग कबीरधाम