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कटनी

इस कॉलेज में बच्चे सीख रहे जैविक खेती करना, रिटायर्ड शिक्षक जगा रहे गजब की अलख

शासकीय तिलक कॉलेज में स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजनान्तर्गत विद्यार्थियों को जैविक कृषि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जैविक कृषि पाठशाला नैगवां के संचालक रामसुख दुबे स्वरोजगार एवं स्वाववलंबन के लिए स्टूडेंट्स को परिपक्व कर रहे हैं। प्रशिक्षण के क्रम में विद्यार्थियों को केंचुआ खाद निर्माण का तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया।

कटनीMar 04, 2020 / 09:24 am

balmeek pandey

Students are learning method of organic farming

Students are learning method of organic farming

कटनी. शासकीय तिलक कॉलेज में स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजनान्तर्गत विद्यार्थियों को जैविक कृषि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जैविक कृषि पाठशाला नैगवां के संचालक रामसुख दुबे स्वरोजगार एवं स्वाववलंबन के लिए स्टूडेंट्स को परिपक्व कर रहे हैं। प्रशिक्षण के क्रम में विद्यार्थियों को केंचुआ खाद निर्माण का तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया। इसमें बताया कि 10 फीट लंबा 6 फीट चौड़ा एवं डेढ़ फीट ऊंचा छायदार पक्के शेड तैयार किया जाता है। इसमें कचरा, पैरा, भूसा, फसल अवशेष, खरपतवार को पानी से गीला करके सड़ाकर 2 किलो केंचुआ डालते हैं। जो 1 से डेढ़ माह में 3 क्विंटल चायपत्ती के समान खाद बन जाती है। 8 से 10 क्विंटल खाद 1 एकड़ में बोनी से पहले जुताई के समय खेत में मिला देते हैं। इसके अलावा गौमूत्र का जैविक खेती में उपयोग, सहित बताया गया कि देशी गाय के गौमूत्र में 33 प्रकार के तत्व पाए जाते हैं। इसका उपयोग रोगों की रोकथाम के लिए, बीजोपचार करने, कीट नियंत्रण के लिए 150 से 200 मिलीलीटर गौमूत्र को 15 लीटर पानी में घोलकर प्रति सप्ताह फसलों में छिड़काव करने एवं 3 किलोग्राम नीम पत्ती को 10 लीटर गौमूत्र में सड़ाकर छानकर पानी मिलाकर फसलों में छिड़काव करने से कीट नियंत्रण होगा।

 

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महिलाओं को भी दिया गया प्रशिक्षण
महिला कृषकों को भी जैविक खेती का प्रशिक्षण मप्र ग्रामीण आजिविका मिशन योजना के तहत दिया गया। जिले में स्थापित गौशालाओं के संचालन के लिए महिला स्व सहायता समूहों की महिलाओं को ग्रामीण स्वरोजगार संस्थान में प्रबंधक विनोद जैन के मार्गदर्शन एवं सुनील रजक प्रशिक्षण प्रभारी के सहयोग से जैविक कृषि पाठशाला नैगवां के संचालक रामसुख दुबे ने जैविक कृषि से स्वरोजगार एवं स्वाववलंबन के लिए प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण में गौमूत्र एकत्रित करने का तरीका, रोगनियंत्रण के लिए गौमूत्र से बीजोपचार, कीट नियंत्रण पौधपोषण के लिए उपयोग, गोबर कम्पोस्ट, नाडेप टांका खाद एवं केंचुआ खाद निर्माण की जानकारी दी गई। चूहामार, मच्छरमार, दुग्ध उत्पादन में 15से 20 प्रतिशत की वृद्धि के लिए एजोला एवं नेपियर घास उत्पादन की जानकारी दी गई। इस दौरान ओमप्रकाश तिवारी, राजेश विश्वकर्मा आदि मौजूद रहे।

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