इन बातों पर होगा फोकस
इस अभियान के तहत स्कूल में ऐसे शिक्षक की व्यवस्था की जाएगी, जिसे सभी विषयों का पूरा ज्ञान हो। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों को संस्कृति का ज्ञान, खेल के माध्यम से उसकी शारीरिक दक्षता का संवर्धन सहित अन्य आयोजनों के माध्यम से बच्चे की प्रतिभा को निखारा जाएगा। खास बात यह है कि इसमें बच्चों के माता-पिता, जनप्रतिनिधि, शिक्षक ही आपस में चर्चा करेंगे कि कैसे इन बच्चों को संवारा जाए। शिक्षक बच्चे के आर्थिक, पारिवारिक, उनके नाम, माता-पिता के नाम, सामाजिक पृष्ठभूमि, पैतृक उद्योग एवं कला के बारे में जानकर उसी दिशा में दक्ष करेंगे। यदि कोई कुम्हार का बच्चा है तो उस काम के लिए योग्यता, आवश्यक वस्तुएं, प्रयोजन को समझाकर उसी परिवेश में बच्चे को ढालने का प्रयास होगा। खास बात यह है कि शिक्षक अब बच्चे को उसकी गांव की भाषा में शिक्षित करेंगे।
शाला सिद्धि मूल्यांकन के सात आयाम
1. शाला में उपलब्ध संसाधन, उनकी उपलब्धता, पर्याप्तता और उपयोगिता
2. सीखना-सिखाना और आंकलन
3. विद्यार्थियों की प्रगति, उपलब्धि और विकास
4. शिक्षकों का कार्य-प्रदर्शन और उनका व्यावसायिक उन्नयन
5. शाला नेतृत्व और शाला प्रबंधन
6. समावेश, स्वास्थ्य और सुरक्षा
7. समुदाय की सहभागिता
इनका कहना है
जिले में दो साल पहले 408 शालाएं शाला सिद्धि के तहत चयनित की गईं थीं। 36 शालाओं पर काम पूरा हो गया है। अब शेष 372 स्कूलों पर काम शुरू किया गया है। स्कूलों को स्तर-1 से स्तर-2 में लाने फोकस किया जा रहा है। इससे बच्चों का भविष्य संवरेगा।
कमलेश सोनी, एपीसी।