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अब मम्मी-पापा करेंगे मास्साबों की मॉनीटरिंग, खास शिक्षा का देंगे मंत्र

अभिभावक और शाला प्रबंधन समिति संवारेगी 372 स्कूलों के बच्चों का भविष्य, स्तर-1 से स्तर-2 में पहुंचाने होगा प्रयास, शाला सिद्धि योजना के तहत की जा रही पहल

कटनीDec 29, 2018 / 11:57 am

balmeek pandey

No teachers in schools, studying fireplace lights

No teachers in schools, studying fireplace lights

कटनी. यदि बच्चा पढ़ाई में कमजोर है तो अभिभावक सिर्फ शिक्षकों पर दोष मढ़ देते हैं कि स्कूल में कुछ पढ़ाया ही नहीं गया, लेकिन अब यह बहाना नहीं बल्कि खुद प्रयास करके बच्चों के भविष्य को संवारना होगा। यह पहल जिले में शुरू की जा रही है शाला सिद्धि योजना के तहत। दो साल पहले जिले की 36 शालाओं को चैम्पियन शाला के रूप में चुना गया था। इन स्कूलों का योजना के तहत उन्नययन भी हुआ है। इन्हीं की तर्ज पर 408 चयनित स्कूलों में से 372 स्कूलों को स्तर-1 से स्तर-2 में ले जाने के लिए शिक्षा विभाग ने पहल शुरू का दी है। समस्त चयनित शालाओं के मूल्यांकन के लिए 7 जनवरी तक का समय निर्धारित किया गया है। इन स्कूलों का विशेष फॉलोअप जन शिक्षक करेंगे। स्कूल जाएंगे। शाला में स्तर-2 की प्रगति के लिए स्कूल के प्रभारी, समस्त शिक्षक, शाला प्रबंधन समिति, बाल कैबिनेट के सदस्यों से मुखातिब होंगे। 4 जनवरी तक स्कूलों में जो कमियां होंगे उन पर चर्चा कर उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाएगा। इसके बाद पुन: फॉलोअप करके बच्चों की शिक्षा में सुधार लाने पर फोकस किया जाएगा, ताकि बच्चे अपना सर्वांगीण विकास कर सकें। उल्लेखनीय है कि जिले की 36 चैम्पियन शाला में आशा अनुरूप परिणाम मिलने के बाद इस योजना को शेष स्कूलों में लागू किया जा रहा है कि ताकि सरकारी स्कूल में पढऩे वाले बच्चे भी बेहतर शिक्षा प्राप्त कर अपरा कैरियर संवार सकें। जिले में 1296 प्राथमिक और 528 माध्यमिक स्कूल हैं। शुरुआती दौर में अभी चयनित स्कूल में काम किया जा रहा है। समीक्षा में उभरे सभी मुद्दों के आधार पर सबसे पहले शाला स्तर पर इसके बाद क्रमश: जनशिक्षा केन्द्र, संकुल, विकासखण्ड, जिला, संभाग तथा राज्य स्तर पर समीक्षा एवं कार्रवाई की जाएगी। कार्यक्रम का प्रमुख लक्ष्य शाला के क्रियाकलापों में सकारात्मक बदलाव लाना है।

इन बातों पर होगा फोकस
इस अभियान के तहत स्कूल में ऐसे शिक्षक की व्यवस्था की जाएगी, जिसे सभी विषयों का पूरा ज्ञान हो। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों को संस्कृति का ज्ञान, खेल के माध्यम से उसकी शारीरिक दक्षता का संवर्धन सहित अन्य आयोजनों के माध्यम से बच्चे की प्रतिभा को निखारा जाएगा। खास बात यह है कि इसमें बच्चों के माता-पिता, जनप्रतिनिधि, शिक्षक ही आपस में चर्चा करेंगे कि कैसे इन बच्चों को संवारा जाए। शिक्षक बच्चे के आर्थिक, पारिवारिक, उनके नाम, माता-पिता के नाम, सामाजिक पृष्ठभूमि, पैतृक उद्योग एवं कला के बारे में जानकर उसी दिशा में दक्ष करेंगे। यदि कोई कुम्हार का बच्चा है तो उस काम के लिए योग्यता, आवश्यक वस्तुएं, प्रयोजन को समझाकर उसी परिवेश में बच्चे को ढालने का प्रयास होगा। खास बात यह है कि शिक्षक अब बच्चे को उसकी गांव की भाषा में शिक्षित करेंगे।

शाला सिद्धि मूल्यांकन के सात आयाम
1. शाला में उपलब्ध संसाधन, उनकी उपलब्धता, पर्याप्तता और उपयोगिता
2. सीखना-सिखाना और आंकलन
3. विद्यार्थियों की प्रगति, उपलब्धि और विकास
4. शिक्षकों का कार्य-प्रदर्शन और उनका व्यावसायिक उन्नयन
5. शाला नेतृत्व और शाला प्रबंधन
6. समावेश, स्वास्थ्य और सुरक्षा
7. समुदाय की सहभागिता

इनका कहना है
जिले में दो साल पहले 408 शालाएं शाला सिद्धि के तहत चयनित की गईं थीं। 36 शालाओं पर काम पूरा हो गया है। अब शेष 372 स्कूलों पर काम शुरू किया गया है। स्कूलों को स्तर-1 से स्तर-2 में लाने फोकस किया जा रहा है। इससे बच्चों का भविष्य संवरेगा।
कमलेश सोनी, एपीसी।

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