अक्षय ऊर्जा विभाग के जिला अधिकारी बिजली कंपनी द्वारा ट्रांसफार्मर नहीं बदलने से योजना के विलंब होने की बात कह रहे हैं, वहीं बिजली विभाग के अधिकारी का कहना है कि ट्रांसफार्मर बदलने की जरुरत ही नहीं है तो क्यों बदला जाए। 15 दिन पहले से मीटर लगने के बाद भी अब तक अक्षय ऊर्जा विभाग ने टेस्टिंग नहीं की।
इधर कलेक्टे्रट भवन की छत पर दो विभागों की लापरवाही के मामले में कलेक्टर व उनके अधीनस्त अधिकारियों की मॉनीटरिंग भी सवालों में है। चर्चा है कि जब कलेक्ट्रेट परिसर संचालित होने वाली योजना का ये हाल है तो जिले में संचालित दूसरी योजनाओं का क्या होगा?
बतादें कि कलेक्ट्रेट भवन में सोलर यूनिट क्रास मीटरिंग योजना से संचालित होगा। 30 वॉट क्षमता की यूनिट से प्रतिदिन लगभग 120 यूनिट बिजली उत्पन्न होगी। कलेक्ट्रेट भवन में प्रतिदिन का उपयोग औसतन 200 यूनिट का है। सोलर यूनिट प्रारंभ होने के बाद कलेक्ट्रेट से 80 यूनिट बिजली का ही बिल देना होगा। इसके लिए विशेष प्रकार का मीटर कलेक्ट्रेट भवन में बिजली विभाग द्वारा लगवाया गया है।
प्रोजेक्ट को लेकर बिजली विभाग के डीइ प्रशांत वैद्य का कहना है कि सोलर यूनिट के लिए मीटर लगा दिया है। टेस्टिंग नहीं हुई है। अक्षय ऊर्जा विभाग के अधिकारी अगर ट्रांसफार्मर बदलने से योजना के विलंब की बात कह रहे हैं तो यह गलत है। कलेक्ट्रेट में पांच साल से ट्रांसफार्मर नहीं बदला गया है। विभाग के अधिकारी जिस दिन टेस्टिंग के लिए कहेंगे हमारे कर्मचारी पहुंच जाएंगे।
वहीं अक्षय ऊर्जा विभाग के जिला अधिकारी पीके तिवारी ने बताया कि बिजली विभाग के ट्रांसफार्मर की क्षमता कम थी, विभाग को लोड बढ़ाने के लिए ट्रांसफार्मर बदलना था इसलिए यूनिट प्रारंभ करने में विलंब हुआ। हमने ठेकेदार को जल्द यूनिट प्रारंभ करने कहा है। काम अंतिम चरण में है, जल्द ही यूनिट चालू हो जाएगा।
इस पूरे मामले में कलेक्टर एसबी सिंह जिला अक्षय ऊर्जा अधिकारी को तलब करने की बात कह रहे हैं। उन्होंने बताया कि पता करवाते हैं कलेक्ट्रेट भवन में प्रारंभ होने वाली सोलर यूनिट में कहां विलंब हो रहा है। लापरवाही पर उचित कार्रवाई की जाएगी।