scriptये है जिले का सबसे बड़ा अस्पताल, जहां आते हैं 5 जिलों के मरीज, फिर भी सही उपचार की नहीं गारंटी!, जानिये क्यों | disturbed patient in Katni district hospital | Patrika News
कटनी

ये है जिले का सबसे बड़ा अस्पताल, जहां आते हैं 5 जिलों के मरीज, फिर भी सही उपचार की नहीं गारंटी!, जानिये क्यों

जिला अस्पताल में सोनोग्रॉफी, एक्सरे, सी-आर्म व डायलिसिस मशीन पड़ी शोपीस, डॉक्टर और तकनीशियन स्टॉफ न होने से मरीजों को ढोना पड़ रहा दर्द

कटनीNov 16, 2018 / 12:09 pm

balmeek pandey

disturbed patient in Katni district hospital

disturbed patient in Katni district hospital

कटनी. जिला अस्पताल में ना सिर्प कटनी जिला बल्कि आसपास के लगभग 4 जिलों के मरीज यहां पर उपचार के लिए पहुंचते हैं। औसतन 850 प्रतिदिन की ओपीडी है। बेहतर उपचार की आस लेकर पहुंचे मरीजों को यहां सिर्फ निराशा ही हाथ लगती है। इसकी मुख्य वजह है डॉक्टर एवं नर्सिंग स्टॉफ की कमी के साथ आधुनिक उपचार के लिए जुटाए गए संसाधनों का काम ना करना। यहां पहुंचने वाले दर्द से कराह रहे मरीजों को बेहतर उपचार की तनिक भी गारंटी नहीं हैं, क्योंकि सीरियस मरीज का उपचार रेफर-टू-जबलपुर ही होता है। जिला अस्पताल में सोनोग्रॉफी, एक्सरे, डायलिसिस सहित एक्सीडेंट के गंभीर मामलों में मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसकी मुख्य वजह है यहां पर आई मशीनों का उपयोग ना होना। आलम यह है कि सोनोग्राफी में कई दिनों की वेटिंग चल रही है, तो एक्सरा एक बजे के बाद मरीजों का नहीं हो पाता। किडनी रोगी जैसे मरीजों को भी डायलिसिस कराने के लिए कई दिनों का इंतजार करना पड़ रहा है। हड्डी रोगियों के उपचार के लिए जिला अस्पताल को मिली अत्याधुनिक सी-आर्म मशीन तो कई वर्षों से शोपीस ऑपरेशन थिएटर में पड़ी हुई है। जिसके संचालन को लेकर के ना तो स्वास्थ्य विभाग गंभीर है ना ही जिला अस्पताल प्रबंधन। यहां तक कि कलेक्टर ने कुछ माह पहले जिला अस्पताल का निरीक्षण कर व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए थे, उनके निर्देश और आश्वासन भी मरीजों के लिए हवा साबित हुए हैं। सुबह मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं लेकिन बगैर जांच के उपचार न मिल ाने के कारण वापस लौट जाते हैं।

10 दिन की वेटिंग
जिला अस्पताल में प्रतिदिन सोनोग्राफी कराने के लिए 80 से 90 मरीज पहुंचते हैं, जिसमें सबसे ज्यादा संख्या गर्भवती महिलाओं एवं प्रसव पीड़ा वाली महिलाएं होती हैं। वर्तमान में स्थिति यह है कि एक दिन में मात्र 35 से 40 की ही सोनोग्रॉफी हो पा रही है। सोनोग्राफी कराने के लिए मरीजों को 10 दिनों तक टोकन लेकर इंतजार करना पड़ता है, चाहे उन्हें कितने भी गंभीर समस्या क्यों ना हो। इस समस्या से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 3 माह पहले नई सोनोग्रॉफी मशीन उपलब्ध करा दी है, लेकिन उसे चलाने के लिए रेडियोलॉजिस्ट की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में यह व्यवस्था सिर्फ शोपीस बनकर रह गई है।

नहीं हो पाते एक्सरे
जिला अस्पताल में दूसरी गंभीर समस्या एक्सरे मशीन की है। यहां पर कटनी सहित उमरिया, सतना, पन्ना जिला सहित अन्य जिलों के मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। एक्सीडेंट्स हादसों में हुई टूट-फूट के लिए ट्रामा सेंटर का भी निर्माण हो गया है, लेकिन वह भी महज दिखावा साबित हो रहा है। चिकित्क और नर्सिंग स्टॉफ की पदस्थापना ही ही नहीं हुई। दो नई एक्सरे मशीन मिल गई है, लेकिन एक मशीन ही चल रही है। तीन को चलाने के लिए स्टॉफ ही नहीं है।

सी-आर्म भी शोपीस
जिला अस्पताल में लाखों रुपए की लागत से आई सी-आर्म मशीन ऑपरेशन थिएटर में पड़ी हुई है। बगैर मशीन की जांच किए हुए ही मरीजों का प्लास्टर कर दिया जाता है। इस मशीन को ऑपरेट करने के लिए ना तो कुशल चिकित्सक हैं और ना ही तकनीशियन। ऐसे में मरीजों को निजी अस्पताल की शरण लेनी पड़ती है या फिर जबलपुर जाने की मजबूरी बन जाती है।

गुर्दा रोगी भी परेशान
अस्पताल में 2015 में डायलिसिस सेंटर की स्थापना की गई, ताकि किडनी रोगियों को कम किया जा सके। अत्याधुनिक तीन मशीनें उपलब्ध कराई गई। इसमें एक रेड क्रॉस सोसायटी द्वारा भी मशीन उपलब्ध कराई गई। कुछ दिन चलने के बाद पिछले 2 साल से शोपीस पड़ी हुई है। कलेक्टर ने निरीक्षण कर इसे चालू कराने के लिए आश्वासन दिया था लेकिन आज तक यहां पर टेक्नीशियन की व्यवस्था नहीं की गई है। यहां पर सिर्फ 1 दिन में 4 से 6 मरीजों का ही डायलिसिस हो पा रहा है, लगभग एक दर्जन किडनी रोगियों को डायलिसिस कराने के लिए इंतजार करना पड़ता है।

व्यवस्था पर नहीं किसी का ध्यान
हैरानी की बात तो यह है कि जिला अस्पताल में हर रोज दर्जनों की संख्या में मरीज परेशान होते हैं। मरीजों की समस्याओं पर ना तो जनप्रतिनिधियों का ध्यान है और ना ही स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन के अधिकारियों का। जिला अस्पताल में 26 जनवरी 2018 से सीटी स्कैन सेंटर की स्थापना हो जानी थी, वह अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इसके अलावा थेरेपी सेंटर का भी काम पूरा नहीं हुआ। आईसीयू कक्ष की स्थिति जनरल वार्ड से भी खराब है। इस पर बदहाल व्यवस्था को लेकर के स्वास्थ्य विभाग भी गंभीर नहीं है।

इनका कहना है
जिला अस्पताल में सोनोग्राफी के लिए वेटिंग, एक्सरे मशीन के लिए रेडियोग्राफर की कमी, सीआर्म मशीन के उपयोग ना होना, डायलिसिस मशीन के लिए तकनीशियन की कमी का मामला मेरे संज्ञान में है। अभी चुनाव तक कुछ नहीं हो सकता है। चुनाव के तत्काल बाद यहां पर डाक्टरों की व्यवस्था कराई जाएगी, ताकि मरीजों को परेशानी का सामना ना करना पड़े।
केवीएस चौधरी, कलेक्टर।

Home / Katni / ये है जिले का सबसे बड़ा अस्पताल, जहां आते हैं 5 जिलों के मरीज, फिर भी सही उपचार की नहीं गारंटी!, जानिये क्यों

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो